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रविवार, 11 सितंबर 2011

Mujhe Maaf Karana मुझे माफ़ करना

 मुझे माफ़ करना 
कविता लिखने तो बैठी थी 
पर कुछ याद नहीं आया 
कोई शब्द नहीं मिला 
कुछ जज्बात भी नहीं आया

 मुझे माफ़ करना 
आज उदास है मेरा मन 
कुछ शब्दों की कमी 
और झिलमिलाते ये मेरे नयन 

मुझे माफ़ करना 
आज कुछ कह नहीं पाऊँगी 
समझ सकते हो तो 
पड़ लो मेरी ख़ामोशी 
क्यूंकि आज मै कुछ लिख नहीं पाऊँगी

मुझे माफ़ करना 
आज भावना कुछ बड़ी है 
कहने को तो बहुत कुछ कहना है
पर शब्दों की कमी है.

बुधवार, 7 सितंबर 2011

Pahali Mulakat पहली मुलाक़ात



पहली मुलाक़ात की वो घडी बड़ी अजीब थी 

संध्या की बेला थी, कुछ महफिले भी तंग थी
छोटे से घर में दो अंजानो की पहली मुलाक़ात थी
चांदनी को आगोश में लिए रात भी रोशन थी
सहमे थे दोनों , चेहरे पर सहमी हुई हल्की मुस्कान थी
कुछ सवाल थे , कुछ जवाब थे
पहचाने से सवाल थे , अनजाने से जवाब थे
 कुछ बाते भूल गए , 
कुछ बाते दिल को भा गए
जो बाते भूल गयी वो बीत गयी
जो बाते भा गयी वो अगली मुलाक़ात के बहाने दे गयी...
इंतज़ार नयी मुलाक़ात का ,,,,,,,,,,,,,,,




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सोमवार, 5 सितंबर 2011

Guru गुरु

गुरु ज्ञान का सागर है,
गुरु गुणों का है भंडार,
गुरु बिना अज्ञानता की नैय्या को 
कौन लगाये पार,

गुरु ना जाने अमीर - गरीब,
गुरु ना जाने जात - पात,
ना कोई वेश और भाषा,
गुरु तो जलाये हर वक़्त 
ज्ञान के दीप,
बढ़ाये मन में उमंग और आशा ...

Ek Gulab Ka Ful Bani Mai एक गुलाब का फुल बनी मै


ताजा ताजा नई खिली थी 
तब सबने मुझे मान दिया
कभी भगवान के चरणों पर ,
कभी स्नेही ने बालो में स्थान दिया
कभी प्रेम, कभी दर्द 
कभी जुदाई तो कभी बिदाई  की साक्झ बनी मै
काँटों के गोद में पली - बढ़ी 
एक गुलाब का फुल बनी मै
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