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सोमवार, 28 नवंबर 2011

Usaka Ahsas उसका अहसास



सूरज की पहली किरण के साथ जब उसका चेहरा दिख जाये...
मन के गलियारे में रोशनी छा जाये .


भीगी केशुवो को जब वो लहराए ,
उसकी हर बूंद ,,,ओस की बूंद की तरह धरा को भिगाए.


होंठो से बोले तो यू लगे की ,, कोई गुलाब की पंखुड़ी बिखर जाये
सुनी डगर को मेरी फूलो से सजाये


पलकें झुकाए कभी पलकें उठाये
कभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये


उसके मुस्कुराने से जग रोशन हो जाये
मुस्कुराती है जब वो तो मेरा रोम रोम खिल जाये


कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
फिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....









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