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सोमवार, 23 जुलाई 2012

Mera Man Panchhi Sa " मेरा मन पंछी सा "


 " मेरा मन पंछी सा "


आपके प्यार और समर्थन से पुरे हो गए ब्लॉग के एक वर्ष...


कविता लिखने से जादा कविता पढ़ने में रूचि थी मुझे ,,,हा कुछ दो - चार पंक्तियाँ मै भी लिख लिया करती थी...
गूगल पर कविताये सर्च करके पढ़ती थी...एक दीन जब, जॉब से घर आई तब अचानक भाई ने ब्लॉग के बारे में बताया..और मेरा ब्लॉग भी बना दिया..और जब नाम पुछा तो कुछ समझ नहीं आया की इस ब्लॉग को क्या नाम दूं ..
" मेरी छोटी सी आँखों ने एक बहुत बड़ा सपना देखा है जिसका नाम  "संस्कार " शब्द से शुरू होता है...ये शब्द हमेशा मेरे दिमाग में घूमता रहता है... बस इसी आधार में उस दीन जल्दबाजी में ब्लॉग का नाम " संस्कार कविता संग्रह " रख दिया..
तो ऐसे बन गया मेरा यह ब्लॉग..
आज आप सभी के प्यार और समर्थन से ब्लॉग जगत में मेरे इस ब्लॉग का भी एक वर्ष बड़े ही प्यार से पूर्ण हुआ...अच्छे - अच्छे दोस्त मिले...
सभी से कुछ सिखा ...
और आज मै अपने ब्लॉग को नया नाम दे रही हूँ 
" मेरा मन पंछी सा "




मेरा मन पंछी सा 
उड़ता चले ..हवा से संदेशा पाकर 
पहुँच जाता है ,,,कहाँ - कहाँ 
कभी बन जाता है साक्षी प्रेम का
कभी दर्द में भी सरीख़ हो जाता है
कभी किसी की विरह की कहानी सुनता है 
वियोग में तड़पते प्रेमियों की
तड़प महसूस करता है 
कभी प्यारी, मीठी - मीठी 
मिलन की बातों में खुश हो जाता है..
मेरा मन पंछी सा
भटकता रहता है
कभी इस गाँव , कभी उस शहर 
कभी गरीब के पास बैठ 
उसके दुःख सुनता है
कभी समाज में फैले 
अनैतिकता ,अत्याचार से पीड़ित हो जाता है..
मेरा मन पंछी सा
भटकता रहता है
कभी इस गाँव , कभी उस शहर 
किसी को वादे करते देखता है
किसी को वादे तोड़ते देखता है
किसी को कसमें खाते देखता है
तो किसी को रश्मे तोड़ते देखता है..
मेरा मन पंछी सा
भटकता रहता है
कभी इस गाँव , कभी उस शहर 



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गुरुवार, 19 जुलाई 2012

Bhram Aas Viswas Aur Mai भ्रम, आस, विश्वास और मैं




भ्रम से लेकर मैं तक का सफ़र...एक तपस्या है जो करते हैं वो लोग
जो किसी का अनचाहा रिश्ता बन जाते है....और इस अनचाहे रिश्ते में प्यार घोलने की एक कोशिश है क्यूंकि रिश्ते बनते है जुड़ने के लिए ना की टूट कर बिखर जाने के लिए..



भ्रम
भ्रम है एक - दूजे के हैं हम
भ्रम है ये रिश्ता पक्का है 
तो ठीक तो हैं ना 
जी रहे हो तुम भी 
जी रही हूँ मैं भी 
और क्या सब ठीक तो है 

आस 
भ्रम में जी तो रही हूँ 
पर आस का दीया जलाकर 
और निभा रही हूँ अपना 
कर्तव्य पूरी निष्ठां से 

विश्वास 
इस विश्वास के साथ 
की मेरा समर्पण और निश्छल प्रेम 
एक दिन बदल देगा तुम्हें
विश्वास है की तुम बदलोगे जरुर 
जरुर बदलोगे ....

मैं 
जिस दिन मेरे विश्वास पर 
तुम्हारे प्यार की मुहर लग जाएगी
उस दिन मेरा ये अकेला "मैं" 
"हम" में बदल जायेगा
और मेरे भ्रम की तपस्या 
सार्थक होगी.....

कभी - कभी भ्रम में जीना भी सुखद और सार्थक होता है...
बस उनमें मिठास घोलने की कोशिश तो होनी ही चाहिए 

हैं ना ??


शनिवार, 14 जुलाई 2012

Mera Man *** मेरा मन ***



पुरवाई मेरे मन की 
चलती चले - चलती चले
गाँव , शहर  , गली- गली 
डगर - डगर
पत्तों से लड़ी ,कभी फूलों से मिली 
समुंदर में गई लहरों को उछाला 
किसी के आँचल को उड़ाए 
तो कभी बालों में घुस जाए
किसी की खुशबू को
किसी तक पहुँचाती है 
प्रेम फैलाती है , मन बहकाती है
शीतलता लाती है 
पुरवाई मेरे मन की 
देखो क्या - क्या करती है 





मेरा बहता मन 
मन काबू में कहाँ 
कभी हवा की तरह चले 
कभी पंछी की तरह उड़े 
जबरदस्ती बैठा दो जमीन पर
तो मन पानी की तरह बहे
मेरा बहता मन 
कभी ना रुके ...

बुधवार, 11 जुलाई 2012

Barsat Ke Rang Dekho Mere Sang बरसात के रंग देखो मेरे संग ..


आजा बरखा तेरी
राह तकू मैं कब से
झुमने को, नाचने को, गाने को
मन तरस रहा है कब से.....


सुनी जो पुकार है तुने
मन आभारी है तेरा बदरीया
भीगी - भीगी, रिमझिम - रिमझिम  फुहार में
पिया संग नाचे ये बांवरिया ....


सावन के झूले डाल दिए है
हिचकोले खाने लगा है मन
हवा संग बहने को,
प्रेम संग बहकने को,
बजने लगा है मन - तरंग ....


तेरी मेरी बातें 
वो मीठी यादे
कहाँ ले आई है कहाँ ले जाएँगी
ये प्यार की प्यारी मुलाकाते....


बरसात वो भीगी सी रात
तेरा मेरा मिलना 
फूलों सा खिलना

 
रिमझिम फुहार 
चूड़ियों की झंकार 
भीगा उनका मन
लाज से झुक गये
मेरे दो नयन ...... 


सावनी फुहार 
हिना की खुशबू 
महक उठा है मन
महक उठा है घर - आँगन 
इंतजार है अब 
कब खिलेगा मेरी 
हथेली पर रंग....


हरी - भरी है धरती सारी
डाल - डाल भर गए पात - पात से 
चारो ओर हरीतिमा छा गई
बरसे बदरीया
खुशियाँ आ गई ....



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