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गुरुवार, 9 अगस्त 2012

Jay Shri Krishna ૐૐૐ जय श्री कृष्णा ૐૐૐ




कृष्ण कन्हैया ,
बंसी बजैया ,
रास रचैया ,
कान्हा रे ||||||||

प्रभु दर्शन को व्याकुल मनवा
दया सागर तू दर्शन दे 
मै पूजा हूँ तेरी भगवन 
निज करती मै तुझपर अर्पण 
प्रेम भरा मेरा ये मन........

तुझसे भोर है
तुझसे संध्या 
तुझसे मेरा संसार है भगवन .....

मै निज गाऊं गीत तेरे 
चरणों पर अर्पण प्रीत करूं
तेरे नाम की माला प्रभुवर 
कंठ - कंठ मै पाठ करूं .....

मन मोरा झूले ,, सब कुछ भूले
विचरे आकाशगंगा में 
खोजे तुझको ऐ कुंज बिहारी 
करुणा निधान तू दर्शन दे .......

कृष्ण कन्हैया ,
बंसी बजैया ,
रास रचैया ,
कान्हा रे ||||||


प्रभु दर्शन को व्याकुल मनवा
दया सागर तू दर्शन दे ....



जय श्री कृष्णा


फिर एक नई कोशिश है भक्ति रस में कविता लिखने की,,,
कैसी लगी आपको जरुर बताइए...
:-)
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