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शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

Ruthe Huve Ho Kyun रूठे हुवे हो क्यूँ...




खता कुछ कर गई मैं 
पर वफ़ा भी कम ना की....

दी सदायें मोहब्बत की बहुत
पर उसने माफ़ी ना दी....

दी दलीले बहुत खता की
पर उसने सजा ही दी....

रूठ बैठे है वे जालिम
 छोटी सी बात पर.......

और कहते रहे सभी से
 की हमने वफ़ा ना की....

कब तक मनाएगी रीना
 उस रूठे मोहब्बत को......

जिसे तेरे दर्द - ए - दिल की 
धड़कन  भी सुनाई ना दी.....

खता कुछ कर गई मैं 
पर वफ़ा भी कम ना की....






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