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गुरुवार, 15 नवंबर 2012

Sandhya Suhani संध्या सुहानी


संध्या सुहानी  ( हाइकु)

संध्या सुहानी 
मौसमों की रवानी
मुस्कुराहटे


भोर की बेला
कोहरे का था साया
हम अकेले

बातें अंजानी
लगती अपनी सी
मिलने लगे

मै और तुम
हो गए सिलसिले
मुलाकातों के

मनभावन
तेरा मेरा साथ है
आ पक्का करें

सिंदूरी माँग
काले मोती सजे है
सीने से लगे

गहन प्रेम
सुन्दर फुल खिले
महका घर

प्यारा संसार
तेरा मेरा प्यार है
पूर्ण हुई मै

हम साथ है
साथ - साथ रहेंगे
जन्मों तलक


संगीता स्वरुप जी के ब्लॉग पर हाइकु पढ़ती थी..
वहीँ से प्रेरित होकर मेरा भी मन किया..
फिर एक नया प्रयास "हाइकु" में बताइए कितनी सफल हूँ ...
हूँ भी या नहीं...
:-)




रविवार, 11 नवंबर 2012

Shubh Dipawali *** शुभ दीपावली ***



आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ....

मन के अँधेरे दूर भगाएँ 
मन में नया विश्वास जगाएँ ...

रोते हुए बच्चों को हसाएँ
सुने आँगन में प्यार के दीप जलाएँ ...

एक दीप जलाकर ,, एक पौधा लगाएँ
रोशनी के साथ ही हरियाली फैलाएँ ...

भूखे को रोटी खिलाएँ
भटके को राह दिखाएँ ...

भ्रष्टाचार को दूर भगाएँ
देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाएँ ...

निराशाओं में आशा बधाएँ
बुराइयों से खुद को बचाएँ ...

हाथ मिलाएँ , प्रेम बढाएँ

मन के सारे भ्रम मिटाएँ ...

अच्छा सीखे और सिखाएँ
आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ...

आप सभी को सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ 
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