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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

Bheega Man भीगा मन



चंद लफ्ज काफी है जज्बात बयां करने को  
ग़र कोई जज्बाती मिल जाए तो....



मुस्कुराऊँ तो किस नज़ारे को देखकर 
आँखों में तुमने आंसू भर दिए है.....
अब तो सब कुछ 
भीगा - भीगा सा दिखता है....



दर्द इतना है मेरी आँखों में 
छुपा भी नहीं सकती 
जिसे अपनी बातों में ........
लोग कहते है बहुत बोलती हो तुम
उन्हें क्या पता कितना 
कुछ है बाकि अभी कहने को .......
जो छुपा रखा है 
दिल के गहरे जज्बातों में....



प्यार बनकर आई थी 
अब गलती बन गयी हूँ आपकी
कभी आपकी नजर मुझे ढूंढा करती थी ........
अब मुझसे नजरे मिलाना भी 
खता बन गयी है आपकी....



इस उम्मीद से जागते है की
आये कोई पैगाम उनका
रात बीत गई , सुबह हो आई .......
ना आया कोई दुआ - सलाम उनका
बेरहम है वो जानते नहीं
क्या बीतती है दिल पर
बड़े आराम से कह कर चल दिए ......
ये अदाज - ए -  इश्क है उनका.....
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