फ़ॉलोअर

बुधवार, 27 नवंबर 2013

Shyaam Teri Bansi Ki Dhun श्याम तेरी बंसी की धून




......श्याम तेरी बंसी की धून......
सबको रिझाये 
मनवा बहकाये 
....सुध -बुध भुलाये ....
बस तेरी ओर
खिंचा चला आये
मोहे काहें तड़पाये 
बंसी बजाये
मंद मंद मुस्काये
मोहे छेड़े,,,,,
सताये ....
मुहवाँ बिचकाये
गगरिया फोड़ मोरी 
मोहे ठेंगा दिखाए
......श्याम तेरी बंसी की धून.....
....सुध -बुध भुलाये....
सब रास कहे
सब लीला कहे
मैं जानू तेरी 
साजिशों को सब
अपने प्रेम में
दीवाना काहें 
मुझको बनाये
.....श्याम तेरी बंसी की धून.....
.....सुध -बुध भुलाये....
मन तेरी ओर खिंचा 
चला आये.....

रविवार, 24 नवंबर 2013

Ek Sasuraal Aisa Bhi एक ससुराल ऐसा भी


सुबह सुबह ५ बजे उठकर
माँ रूपी सास से मीठा मीठा 
प्रसाद ग्रहण कर लेने के बाद .......
अब चली है रसोई में 
फीकी सी चाय बनाने ......
सासु माँ कि बोली में इतनी मिठास है की,,,,,
उन्हें मधुमेह हो गया है...
अब बहु उन्हें मीठी सी चाय पीलाकर ,,,
स्वर्ग नहीं पहुँचाना चाहती है.....
पतिदेव को बड़े प्यार से जगा तो दिया है
पर उठते ही पत्नी का चेहरा देखने के बजाय ,,,,
उनकी नजरे अपने दाहिने हाथ की कलाई 
पर चली जाती है,,
सोने के ब्रेसलेट की आस लगाये बैठे थे बेचारे
जो ससुराल वालों से पूरी ना हो पाई...
तभी से मुँह कसा हुआ है उनका.....
कम बोलने लगे हैं बेचारे....
वहीँ लाड़ली ननद रानी 
जो पुरे घर की हैं महारानी...
छोड़- छाड़ के अपना घर बार
लगा बैठी हैं मइके में दरबार.....
देवर जी के ठाठ निराले
अंग्रेजी में ता- था- थैय्या 
भाभी के ना पड़े हैं पाले....
पर ससुर जी तो पुरे देवता सामान...
पर बेचारे के पुरे ना हो पाए थोड़े अरमान...
ज्यादा नहीं बस थोड़ी खातिर करवानी थी..
अपने मेहमानों को भेंट रूप थोड़ी उपहार दिलवानी थी..
पाए ही क्या थे ये जनाब ...
एक हीरो हौंडा बाईक,,,, ५ लाख नकद,,
१२ तोला सोना ...और बस 
घर के छोटे- मोटे सामान...
एक ससुराल ऐसा भी होता हैं..
जहाँ बेटों को पैसों में और
बहुओं को दहेज़ पर तोला जाता हैं...
पूरी कर दो जब इनकी मनमानी  
तो बनेगी बिटिया घर की महारानी...
नहीं तो सुबह-सुबह ५ बजे उठकर..
बिटिया सुनेगी...
सासु माँ की मीठी वाणी...

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...