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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

wakt वक्त


काश इस वक्त को भी
हमसे प्यार हो जाए
जब आप दूर रहो
तो ये वक्त तेजी से गुजरता जाए
और जब आप पास आओ तो
ये वक्त चुपके से ठहर जाए
काश इस वक्त को भी हमारे
 प्यार  पर प्यार आ जाए

घड़ी के तीनों काँटों कि 
आवाज को महसूस किया है
हर लम्हें में तुम्हें याद किया है
वक्त कि हर आहट याद तुम्हारी 
दे जाती है 
कभी तुमसे मीलने कि खुशी

कभी बिछड़ने का गम साथ ले आती है  


कुछ ख्वाहिशे वक्त कि मोहताज होती है
शायद वो ख्वाहिशे पूरी भी हो जाये कभी..
पर वो बिता हुआ वक्त फिर लौट कर नहीं आ सकता..
जिस वक्त में इन ख्वाहिशो को पूरा होना था..
अजीब दास्ताँ है ये..


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