क्या है अस्तित्व मेरा
मैं स्त्री , मैं माँ, मैं बेटी, मैं बहन
मैं ही हूँ घर संसार
शुभ-लाभ मुझसे ही है
मुझसे ही बंधे सब परिवार
फिर क्युँ, क्युँ ??
बांध दिया जाता है मुझे
स्त्रीलिंग की परिभाषा से
रोक दिए जाते हैं कदम मेरे
सीमाओं , हदों , दायरों के भीतर
क्यों मैं अपनी मर्जी की नहीं
क्युँ तुमने झोंक दिया मेरा चेहरा
तुम्हारे इजहार पर
मैंने इंकार कर दिया था
क्या इसलिए ??
क्या मेरी कोई पसंद नहीं
मैं तुम्हें पसंद थी पर
ये जरुरी तो नहीं था न
की तुम भी मुझे पसंद ही आते
जरा सी बात पर
जल दिया मेरा चेहरा
अपने झूठे घमंड की क्रोधाग्नि में ....
जब थोड़ा सजना सँवरना चाहा
तो क्युँ नहीं दिखाई दी तुम्हें
स्त्रीमन की कोमल भावनाएँ..
तुमने देखा केवल
एक सजा- धजा शरीर
और जाग गया तुम्हारे
अंदर का वो भूखा भेड़ियां
और कर दिया तुमने
नारी अस्मत को तार-तार
करते हो पूजन
नौ दुर्गा नौ दिन
करते हो लक्ष्मी का
नित स्मरण
फिर क्युँ करते हो
देवियों के प्रतिरूपी स्त्रियों पर
यूँ अत्याचार.....
हे पुरुष...
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बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंयथार्थ लिखा है ... बहुत ही प्रभावी ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर......
जवाब देंहटाएं:-)
Behtreen.... Sach Hai
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रभावी रचना...नारी मन की भावना और व्यथा को बखूबी दर्शाया है आपने...
जवाब देंहटाएंसशक्त शब्द संयोजन... सुंदर
जवाब देंहटाएंक्यो तुमने झोंक दिया मेरा चेहरा...???
जवाब देंहटाएंव्यथित मन की भावनात्मक अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर भाव का प्रभावी अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंखुदा है कहाँ ?
कार्ला की गुफाएं और अशोक स्तम्भ
तुमने देखा केवल
जवाब देंहटाएंएक सजा- धजा शरीर
और जाग गया तुम्हारे
अंदर का वो भूखा भेड़ियां
और कर दिया तुमने
नारी अस्मत को तार-तार...bhawpurn abhiwakti ...mera pahla comments kahin chala gaya ...
करते हो पूजन
जवाब देंहटाएंनौ दुर्गा नौ दिन
करते हो लक्ष्मी का
नित स्मरण
फिर क्युँ करते हो
देवियों के प्रतिरूपी स्त्रियों पर
यूँ अत्याचार.....
चिंतन के लिए बाध्य करती रचना।
दीपावली की अशेष शुभकामनाएं !
अनुपम प्रस्तुति....आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंएक गंभीर विषय
जवाब देंहटाएंइंसानों के अंदर का भेड़िया ना जाने कब मरेगा !
सार्थक रचना !
नारी मन की व्यथा का बहुत सटीक और प्रभावी चित्रण...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना को 5 लिंकों के साथ संग्रह की हूँ
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