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बुधवार, 26 मार्च 2014

Shabd-rekha-chitra शब्द - रेखा - चित्र


ओ मेरे कलाकार सुन लो इस 
कविता कि पुकार....
मै जो कहूँ शब्द - शब्द 
तुम खींचते जाना रेखाएँ .....
मै जो कहूँ बगिया हो सुन्दर
तुम बनाना पुष्प , वृक्ष और लताएँ .....
मै जो कहूँ हमारा घर हो प्यारा
तुम रंगना उसे ऐसा जो लगे एकदम सा न्यारा .....
मै जो कहूँ दो प्रेमी का जोड़ा
तुम बनाना कुछ ऐसा जिसमे अश्क हो हमारा थोड़ा- थोड़ा ....
मै जो कहूँ आजीवन हम रहेंगे साथ
तुम बनाना मजबूती से पकड़े हुए दो हाथ...
मै जो कहूँ मेरा पूरा कर दो संसार
तुम बनाना एक खिलखिलाती नन्हीं मुस्कान ....
ओ मेरे कलाकार सुन ली जो तुमने इस कविता कि पुकार
जीवन सफल हुआ है मेरा ....
ना ही कोई छल कपट
ना ही है इसमें कोई धोखा
कला - कविता का ये संगम अनोखा...
ओ मेरे कलाकार 
तुम ही हो मेरा जीवन
तुम ही हो मेरा सम्पूर्ण संसार.....

ये मेरा प्रेम अहसास है...
इसलिए जरा खास है...







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