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शनिवार, 1 अगस्त 2015

tere sath तेरे साथ


तेरे साथ बिता वो पल, जब भी याद आता है 
ये मेरा मन पगला , सब कुछ भूल जाता है

हवाओं का फिजाओं का ये तुझसे कैसा नाता है
जब भी लेती हूँ मैं सांसे, मन महक जाता है

करू जतन कितना भी मैं,ना जाने क्या हो जाता है
मैं जब भी लिखती हूँ कुछ,पहले तेरा ही नाम आता है 

तेरे अहसास का वो पहला स्पर्श, जब भी याद आता है
हो जातीं हैं साँसे सुरमई, मन गुदगुदाता है

मैं जब भी सोचती हूँ तुझको, मन मुस्कुराता है
पर तुझे ही सोचना, मेरे दिल को लुभाता है 
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