शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....
क्यूँ बेचैन है दिल तुम्हारे लिए
तुम जो बहुत दूर हो मुझसे...
शायद || तुम तक पहुँचना भी
मेरे लिए मुमकिन नहीं
फिर क्यूँ आहत होता है दिल
तुम्हारे दूर जाने की बातों से
तुम कब थे ही मेरे पास
या तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास...
जो हमारे बीच के फासलों को कम करता है
और हमें जोड़े रखता है एक दूजे से...
पर ये जुड़ाव भी कैसा....
जो कभी हकीकत नहीं बन सकता...
मै जानती हूँ और मानती भी हूँ
पर फिर भी कहती रहती हूँ
की,, मै तुमसे प्यार करती हूँ
और शायद..मेरा यही प्यार
तुम्हारे लिए बंदिश होता जा रहा है...
जो तुम्हें आगे बढ़ने से रोकता है ...
ना तुम मेरे हो सकते हो
ना मै तुम्हारी
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....
मुझे जाना कहीं और है
मेरे हाथों में किसी और का हाथ होगा एकदिन
पर जिंदगीभर मैं तुम्हें साथ पाना चाहती हूँ
ये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
मुझे कहीं और देखना
पर मेरा ये स्वार्थी प्यार
हर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....
प्यार जो फासलों में जीता है...
टीस है ये दर्द की
आह है ये जुदाई की....
बधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.
कविताओ के मन से
कहानियो के मन से
बस यूँ ही
सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंप्यार का एहसास ही ...
जवाब देंहटाएंप्यार को ख़ास बनाता है ..
बाकि तो दिखावा है
मन का छलावा है .....
शुभकामनाएँ!
प्यार के एहसासों में जीना खो जाने का दर्द प्यार के भावों को अच्छे शब्दों में ढाला है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,,,सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंहर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
जवाब देंहटाएंशायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....
प्यार जो फासलों में जीता है...
टीस है ये दर्द की
आह है ये जुदाई की....
बड़ा अजीब है प्यार का रिश्ता ..
Gahare manobha...... Sunder Abhivykti..
जवाब देंहटाएंएहसास को खूबसूरती से लिखा है ...
जवाब देंहटाएंदिव्य..दिलकश ....दमदार ....इससे ज्यादा क्या कहूं.....
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
जवाब देंहटाएंमुझे जाना कहीं और है
मेरे हाथों में किसी और का हाथ होगा एकदिन
पर जिंदगीभर मैं तुम्हें साथ पाना चाहती हूँ
ये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
.....कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....!!
बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसादर
एक खुबसूरत अहसास की बहुत सुन्दर प्रस्तुति....रीना शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंगहरे भाव, सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंbahut khub ...saadar
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...उम्दा
जवाब देंहटाएंइतना दर्द...........
जवाब देंहटाएंशिद्दत से चाहो....उसी का हाथ होगा तुम्हार हाथ में जिसके मोहब्बत है तुम्हें....
सस्नेह.
प्रेम कभी भी पांवों में ज़ंजीर नहीं डालता.....मुक्त होना और मिक्त करना उसका लक्ष्य है.....सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
धन्यवाद सर
हटाएं:-)
क्या लिखूं मेरे पास वो अलफ़ाज़ ही नही की जिससे इसकी गहराई बयां कर सकूं.शुभकामनायें ,लिखती रहें.इस पर मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा ''जबान खामोश है लेकिन ,कलम जज़्बात लिखता है.''
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
प्यार और फासला .. उफ़ टीस तो देगा ही
जवाब देंहटाएंया तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास...
जवाब देंहटाएंजो हमारे बीच के फासलों को कम करता है
और हमें जोड़े रखता है एक दूजे से...
इस एहसास को पलने दो .नखलिस्तान ही है असल ज़िन्दगी .पल दो पल का ही होता है यह प्यार .संजोलो इन पल छिनों को .कहीं यह एहसास भी चुक न जाए ,भीड़ में गुम न जाए
वाह ☺
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एहसास ,,,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास
जवाब देंहटाएंजीवन-सा छलिया नहीं,छलना इसका काम
जवाब देंहटाएंनाहक सारे लोग सब , होते हैं बदनाम |
मन भी चंचल है बड़ा, देखो तो करतूत
इच्छों को छेड़ दे , देखे नहीं मुहूर्त |
बहुत सुन्दर
हटाएंइतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए आभार...
:-)
प्यार जो फासलों में जीता है...
जवाब देंहटाएंटीस है ये दर्द की
आह है ये जुदाई की....
भावुक प्रस्तुति.
खूबसूरत एहसासात... सुंदर भाव संयोजन....
जवाब देंहटाएंसादर।
man ko bhauk kar dene wali prastuti-----------bahut hi badhiya
जवाब देंहटाएंpoonam
प्यार जो फासलों में जीता है...
जवाब देंहटाएंटीस है ये दर्द की
आह है ये जुदाई की....
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंमन को भावुक करती हुई.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का
हार्दिक अआभार.
आप ठगे सुख होय .....आप छले सुख होय ,और न छलिए...कोय .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
sunder rachna, achha laga aapki kriti ko padhna.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
सुंदर
जवाब देंहटाएंBahut sunder abhivyakti... congratulations
जवाब देंहटाएंbahut sundar .....
जवाब देंहटाएंये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
जवाब देंहटाएंमुझे कहीं और देखना
पर मेरा ये स्वार्थी प्यार
हर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी
मन की गहराई से निकली प्रभावशाली कविता।
बहुत सुन्दर कविता. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं*प्यार जो फासलों में जीता है...
जवाब देंहटाएं**टीस है ये दर्द की **आह है ये जुदाई की....**
मन की गहराई से निकली प्रभावशाली कविता..........
SUNDER SATEEK RACHANA.....
जवाब देंहटाएंSATYATA KO PARIBHASHIT KARTI PANKTIYAN..
SUNDER ..
http://yayavar420.blogspot.in/
बहुत ही गंभीर एवं सत्य ......बेहतरीन,,,,
जवाब देंहटाएंटीस तो उठेगी ही यह दरेद है प्यार को न पा सकने का ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ।
इतना दर्द...कविता लिखते समय क्या हालत हुई होगी, समझ सकता हूँ!!
जवाब देंहटाएं"तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास..!"
जवाब देंहटाएंsushri Reenaji,
Very-very Nice Said. Thanks 4 sharing.