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शुक्रवार, 29 जून 2012

Shayad Mai Chhal Rahi Hu Khud Ko Aur Tumhe Bhi शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी





शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....
क्यूँ बेचैन है दिल तुम्हारे लिए
तुम जो बहुत दूर हो मुझसे...
शायद || तुम तक पहुँचना भी 
मेरे लिए मुमकिन नहीं 
फिर क्यूँ आहत होता है दिल
तुम्हारे दूर जाने की बातों से
तुम कब थे ही मेरे पास 
या तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास...
जो हमारे बीच के फासलों को कम करता है 
और हमें जोड़े रखता है एक दूजे से...
पर ये जुड़ाव भी कैसा....
जो कभी हकीकत नहीं बन सकता...
मै जानती हूँ और मानती भी हूँ 
पर फिर भी कहती रहती हूँ 
की,, मै तुमसे प्यार करती हूँ 
और शायद..मेरा यही प्यार 
तुम्हारे लिए बंदिश होता जा रहा है...
जो तुम्हें आगे बढ़ने से रोकता है ...
ना तुम मेरे हो सकते हो
ना मै तुम्हारी 
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....

मुझे जाना कहीं और है
मेरे हाथों में किसी और का हाथ होगा एकदिन 
पर जिंदगीभर मैं तुम्हें साथ पाना चाहती हूँ 
ये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
मुझे कहीं और देखना 
पर मेरा ये स्वार्थी प्यार 
हर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....

प्यार जो फासलों में जीता है...
टीस है ये दर्द की 
आह है ये जुदाई की....




46 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
    कृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.

    कविताओ के मन से

    कहानियो के मन से

    बस यूँ ही

    जवाब देंहटाएं
  2. प्यार का एहसास ही ...
    प्यार को ख़ास बनाता है ..
    बाकि तो दिखावा है
    मन का छलावा है .....
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. प्यार के एहसासों में जीना खो जाने का दर्द प्यार के भावों को अच्छे शब्दों में ढाला है बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  4. हर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
    शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी ....

    प्यार जो फासलों में जीता है...
    टीस है ये दर्द की
    आह है ये जुदाई की....

    बड़ा अजीब है प्यार का रिश्ता ..

    जवाब देंहटाएं
  5. दिव्य..दिलकश ....दमदार ....इससे ज्यादा क्या कहूं.....

    जवाब देंहटाएं
  6. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है
    मुझे जाना कहीं और है
    मेरे हाथों में किसी और का हाथ होगा एकदिन
    पर जिंदगीभर मैं तुम्हें साथ पाना चाहती हूँ
    ये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
    .....कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....!!

    जवाब देंहटाएं
  7. एक खुबसूरत अहसास की बहुत सुन्दर प्रस्तुति....रीना शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  8. इतना दर्द...........
    शिद्दत से चाहो....उसी का हाथ होगा तुम्हार हाथ में जिसके मोहब्बत है तुम्हें....
    सस्नेह.

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रेम कभी भी पांवों में ज़ंजीर नहीं डालता.....मुक्त होना और मिक्त करना उसका लक्ष्य है.....सुन्दर पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  11. क्या लिखूं मेरे पास वो अलफ़ाज़ ही नही की जिससे इसकी गहराई बयां कर सकूं.शुभकामनायें ,लिखती रहें.इस पर मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा ''जबान खामोश है लेकिन ,कलम जज़्बात लिखता है.''


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  12. प्यार और फासला .. उफ़ टीस तो देगा ही

    जवाब देंहटाएं
  13. या तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास...
    जो हमारे बीच के फासलों को कम करता है
    और हमें जोड़े रखता है एक दूजे से...
    इस एहसास को पलने दो .नखलिस्तान ही है असल ज़िन्दगी .पल दो पल का ही होता है यह प्यार .संजोलो इन पल छिनों को .कहीं यह एहसास भी चुक न जाए ,भीड़ में गुम न जाए

    जवाब देंहटाएं
  14. जीवन-सा छलिया नहीं,छलना इसका काम
    नाहक सारे लोग सब , होते हैं बदनाम |

    मन भी चंचल है बड़ा, देखो तो करतूत
    इच्छों को छेड़ दे , देखे नहीं मुहूर्त |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत सुन्दर
      इतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए आभार...
      :-)

      हटाएं
  15. प्यार जो फासलों में जीता है...
    टीस है ये दर्द की
    आह है ये जुदाई की....

    भावुक प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  16. खूबसूरत एहसासात... सुंदर भाव संयोजन....
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  17. प्यार जो फासलों में जीता है...
    टीस है ये दर्द की
    आह है ये जुदाई की....

    ....बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  18. दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति.
    मन को भावुक करती हुई.

    मेरे ब्लॉग पर आपके आने का
    हार्दिक अआभार.

    जवाब देंहटाएं
  19. आप ठगे सुख होय .....आप छले सुख होय ,और न छलिए...कोय .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    रविवार, 1 जुलाई 2012
    कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?

    डरा सो मरा
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  20. ये कैसे मुमकिन होगा तुम्हारे लिए...
    मुझे कहीं और देखना
    पर मेरा ये स्वार्थी प्यार
    हर मोड़ पर तुम्हें साथ पाना चाहता है...
    शायद मैं छल रही हूँ खुद को और तुम्हें भी

    मन की गहराई से निकली प्रभावशाली कविता।

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत सुन्दर कविता. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  22. *प्यार जो फासलों में जीता है...
    **टीस है ये दर्द की **आह है ये जुदाई की....**
    मन की गहराई से निकली प्रभावशाली कविता..........

    जवाब देंहटाएं
  23. SUNDER SATEEK RACHANA.....
    SATYATA KO PARIBHASHIT KARTI PANKTIYAN..


    SUNDER ..

    http://yayavar420.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही गंभीर एवं सत्य ......बेहतरीन,,,,

    जवाब देंहटाएं
  25. टीस तो उठेगी ही यह दरेद है प्यार को न पा सकने का ।
    सुंदर अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  26. इतना दर्द...कविता लिखते समय क्या हालत हुई होगी, समझ सकता हूँ!!

    जवाब देंहटाएं
  27. "तुम्हारा अहसास ही है मेरे लिए खास..!"

    sushri Reenaji,

    Very-very Nice Said. Thanks 4 sharing.

    जवाब देंहटाएं

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