आजकल बहुत कमियाँ
निकालने लगे हो तुम
सीधे -सीधे कह दो ना की
अब तुम्हें हमारी जरुरत नहीं
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गम बहुत है जहाँ में
पर आँसूओं से हासिल क्या
जिंदगी को जीने के लिए
मुस्कान की जरुरत है
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नशा सिर्फ जाम से ही नहीं होता
" घमंड " और " अहंकार " भी
बहुत नशीले होते हैं
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कुछ होने के लिए
वजह की जरुरत नहीं होती
कभी बेवजह भी
बहुत कुछ हो जाता है
जिससे आवाज आई
सिर्फ वही नहीं टुटा है
बिना आवाज किये भी
बहुत कुछ टूट जाता है
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तुम दुआ बनकर
मेरी जिंदगी में आना
और मै मुस्कान बनकर
तुम्हारे होंठो पर बस जाऊँ
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बातों की मार
घमंड
शक
और जलन
कर देते है
रिश्तों का
दहन
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अकेले में तो
दुश्मन भी
हाँ में हाँ
मिलाते हैं
तुम अगर
दोस्त हो तो
महफ़िल में आओ
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हाल-ए- मिजाज कुछ
बदला -बदला सा है उनका
जुबान कुछ और कह रही है
मुस्कान कुछ और
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ठोकर लगी है शीशे को
इसलिए तो टुटा है
और लगी है बड़ी जोर से
इसलिए तो इतना बिखरा है
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