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रविवार, 15 जनवरी 2012

Prayas प्रयास


प्रयास 
( मेरी सहेली ने कहा कि, मैं अपनी कविताओ को एक रूप दु  तो बस अपनी कुछ कविताओ को एक ही कविता में ढालने का एक छोटा सा प्रयास है शायद आपको पसंद आये ..)




खुद की परछाई को संभालते हुए चलती जा रही थी 
पर तुम से पहली मुलाकात के बाद 
मन की बाते कुछ बदल सी गयी 
शायरी लिखने लगी हूँ तुम्हारी याद में 
आज सबके सामने ये इजहार करती हूँ की मैं भी करती हुं किसी से प्यार 
ऐसा ख्याल पहली बार मन में आया है 
क्यूंकि मै शायद तुमसे मिली तुम हो ही अलग से..तो क्यों न मन ये मेरा पिघलता 
मुझे माफ़ करना कहना तो बहुत कुछ चाहती हूँ पर शब्द नहीं मिल रहे है 
अब तो ये शाम की तन्हाई भी तडपाने लगी है
तुम्हारी यादे जो सताने लगी है
क्या हुआ तुम कुछ खफा खफा से लग रहे हो 
कल की बात से नाराज हो हमने कहा जो भी तुमसे वो मज़बूरी थी समझा करो
अब माफ़ भी कर दो 
करोगे न माफ़ 
मै जानती थी क्यूंकि मै हु तुझमे कहीं न कहीं 
सच है न ये 
अब बस ,
 बस अब ये दर्द सहा नहीं जाता
चलो फिर से शुरुवात करते है नयी - पूरानी यादो के साथ 
सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर 
कहो दोगे न तुम मेरा साथ 
कहो ना ....



64 टिप्‍पणियां:

  1. vaah ek nirala andaaj kavita kahne ka.shreshth prayaas.bahut pasand aaya.

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    उत्तर
    1. धन्यवाद,
      आपने मेरे प्रयास को सराहा ..
      मेरा प्रयास सफल हुआ

      हटाएं
  2. कविताओ की कविता अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम का दर्द से मूल संबंध है
    ये किसी जन्म का मौन अनुबंध है

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेम का दर्द से मूल संबंध है
    ये किसी जन्म का मौन अनुबंध है

    जवाब देंहटाएं
  5. अरे वाह ! वाकई अनोखा अंदाज...!
    बहुत अनुपम कृति...!

    जवाब देंहटाएं
  6. कविताओं के शीर्षकों को जोड़ कर बना यह गीत बहुत अच्छा लगा।



    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,,,
      आपके सुझावों के अनुसार इसे लिंक भी दे दिया है
      इतने अच्छे सुझाव के लिए भी तहे दिल से शुक्रिया ....

      हटाएं
    2. आप का स्वागत है यूं ही अच्छा लिखती रहिए।

      हार्दिक शुभकामनाएँ।

      हटाएं
  7. आपकी कोशीस बेहद उम्दा है

    ये पंक्तियाँ तो बेहद पसंद आई-
    सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
    कहो दोगे न तुम मेरा साथ
    कहो ना ....

    कभी समय निकल कर मेरे ब्लॉग पर भी आईये |

    जवाब देंहटाएं
  8. उम्दा कोशिश और उतनी ही उम्दा रचना.

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह वाह.....
    आम के आम और गुठलियों के भी दाम...
    :-)
    बहुत बढ़िया रीना जी...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये सब तो सोची नहीं थी
      पर आपके टिप्पणी से हसी आ गयी
      आप ऐसा कह सकती है
      आपका बहुत - बहुत धन्यवाद

      हटाएं
  10. बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी धन्यवाद ,
      आपको भी मकर संक्रांति की शुभकामनाए

      हटाएं
  11. वाह …………ये अन्दाज़ तो बहुत प्यारा है।

    जवाब देंहटाएं
  12. नए अंदाज़ की कविता अच्छा भावपक्ष लिये हुए. बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  13. बस अब ये दर्द सहा नहीं जाता
    चलो फिर से शुरुवात करते है नयी - पूरानी यादो के साथ
    सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
    कहो दोगे न तुम मेरा साथ
    कहो ना ....
    badhai reena ji bahut hi behatareen prastuti lagi hai .

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  15. कविता के पिटारे में कविताओं का भंडार !
    वाह, बिलकुल नया आइडिया है।

    जवाब देंहटाएं
  16. वाह!
    क्‍या बात है.....
    हर लाईन में एक नई कविता....
    इसे कह सकते हैं, 'कविताओं का गुलदस्‍ता'
    बढिया प्रयास है यह।

    जवाब देंहटाएं
  17. यह तो बहुत ही मस्त आईडिया है... अपने पोस्ट्स को भी ऐसे ही डालने की कोशिश होगी एक ही पोस्ट में..
    बेहतरीन!

    जवाब देंहटाएं
  18. अच्छा है प्रयास.......अच्छी बन पड़ी अहि कविता.......आप 'हूँ' ऐसे लिखा किजिये |

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत खूब ..अच्छा लगा ...आईडिया पसंद आया

    जवाब देंहटाएं
  20. क्या आईडिया है रीना जी .....लाजवाब

    जवाब देंहटाएं
  21. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

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  22. माला पिरोई है . अच्छा प्रयास

    बहुत उम्दा . आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें

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  23. आपके हर पोस्ट नवीन भावों से भरे रहते हैं । पोस्ट पर आना सार्थक हुआ। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  24. बहुत ही सुन्दर और सफल प्रयास रहा आपका |
    मेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
    मेरी कविता:वो एक ख्वाब था

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  25. एक बहस उम्दा रचना बन गई है आपकी .... माला में एक और मोटी जुड गया ...

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  26. अरे वाह!
    शीर्षकों से भी रचनाकारी!
    आप हैं बहुत प्रतिभाशाली!!

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  27. aapkee tamaanaayein zaroor pooree hogee
    sundar bhaav se likhee rachnaa

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  28. धन्यवाद आप सभी का .
    यह सब आपके साथ , आशीर्वाद और सुझावों का ही परिणाम है
    जो मुझे अपने गलती सुधारने का मौका और कुछ नया करने की प्रेरणा देती है

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  29. reena ji bahut hi sundar shabdon ke saath apni baat kahi aapne ...aisa lagta hai mujhe...shukriya...

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  30. लाजवाब ! बहुत सुन्दर पिरोया है अपनी रचनाओं को .
    बधाई

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  31. वाह....बहुत सराहनीय प्रस्तुति,कर अपने ही सूत्रों को एक नया अंदाज दिया,बहुत२ बधाई
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

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  32. बहुत सुंदर कविता। मन को छू गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  33. Kavita ka madhya se rachnaon ko sahejna ka sundar anupam prayas..... main to ab tak nahi seekh payee ki link kaise diya jaata hai....
    Bahut hi anukarniya laga aapka yah prayas..shubhkamnayen!

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  34. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!

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  35. बहुत सुन्दर प्रयास जो स्वयं में एक बहुत सुन्दर और भावमयी अभिव्यक्ति बन् गयी..बहुत सुन्दर

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  36. kya baat hai ek ek krke sari kavitaen padh raha hoon aapki.........

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