प्रयास
( मेरी सहेली ने कहा कि, मैं अपनी कविताओ को एक रूप दु तो बस अपनी कुछ कविताओ को एक ही कविता में ढालने का एक छोटा सा प्रयास है शायद आपको पसंद आये ..)
पर तुम से पहली मुलाकात के बाद
मन की बाते कुछ बदल सी गयी
शायरी लिखने लगी हूँ तुम्हारी याद में
आज सबके सामने ये इजहार करती हूँ की मैं भी करती हुं किसी से प्यार
ऐसा ख्याल पहली बार मन में आया है
क्यूंकि मै शायद तुमसे मिली तुम हो ही अलग से..तो क्यों न मन ये मेरा पिघलता
मुझे माफ़ करना कहना तो बहुत कुछ चाहती हूँ पर शब्द नहीं मिल रहे है
अब तो ये शाम की तन्हाई भी तडपाने लगी है
तुम्हारी यादे जो सताने लगी है
क्या हुआ तुम कुछ खफा खफा से लग रहे हो
कल की बात से नाराज हो हमने कहा जो भी तुमसे वो मज़बूरी थी समझा करो
अब माफ़ भी कर दो
करोगे न माफ़
मै जानती थी क्यूंकि मै हु तुझमे कहीं न कहीं
सच है न ये
अब बस ,
बस अब ये दर्द सहा नहीं जाता
चलो फिर से शुरुवात करते है नयी - पूरानी यादो के साथ
सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
कहो दोगे न तुम मेरा साथ
कहो ना ....
vaah ek nirala andaaj kavita kahne ka.shreshth prayaas.bahut pasand aaya.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,
हटाएंआपने मेरे प्रयास को सराहा ..
मेरा प्रयास सफल हुआ
कविताओ की कविता अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर ..
हटाएंप्रेम का दर्द से मूल संबंध है
जवाब देंहटाएंये किसी जन्म का मौन अनुबंध है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..आप हमारे ब्लॉग पर आई
हटाएंप्रेम का दर्द से मूल संबंध है
जवाब देंहटाएंये किसी जन्म का मौन अनुबंध है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..आप हमारे ब्लॉग पर आई
हटाएंअरे वाह ! वाकई अनोखा अंदाज...!
जवाब देंहटाएंबहुत अनुपम कृति...!
धन्यवाद सर ..
हटाएंसुन्दर प्रयास नया भी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर ..
हटाएंकविताओं के शीर्षकों को जोड़ कर बना यह गीत बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसादर
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,,,
हटाएंआपके सुझावों के अनुसार इसे लिंक भी दे दिया है
इतने अच्छे सुझाव के लिए भी तहे दिल से शुक्रिया ....
आप का स्वागत है यूं ही अच्छा लिखती रहिए।
हटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ।
behad sundar prayas
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशा जी
हटाएंआपकी कोशीस बेहद उम्दा है
जवाब देंहटाएंये पंक्तियाँ तो बेहद पसंद आई-
सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
कहो दोगे न तुम मेरा साथ
कहो ना ....
कभी समय निकल कर मेरे ब्लॉग पर भी आईये |
जी धन्यवाद ,
हटाएंजरुर आउंगी आपके ब्लॉग पर
उम्दा कोशिश और उतनी ही उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत शुक्रिया
हटाएंवाह वाह.....
जवाब देंहटाएंआम के आम और गुठलियों के भी दाम...
:-)
बहुत बढ़िया रीना जी...
ये सब तो सोची नहीं थी
हटाएंपर आपके टिप्पणी से हसी आ गयी
आप ऐसा कह सकती है
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद
बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद ,
हटाएंआपको भी मकर संक्रांति की शुभकामनाए
वाह …………ये अन्दाज़ तो बहुत प्यारा है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी ..
हटाएंनए अंदाज़ की कविता अच्छा भावपक्ष लिये हुए. बधाई.
जवाब देंहटाएंबस अब ये दर्द सहा नहीं जाता
जवाब देंहटाएंचलो फिर से शुरुवात करते है नयी - पूरानी यादो के साथ
सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
कहो दोगे न तुम मेरा साथ
कहो ना ....
badhai reena ji bahut hi behatareen prastuti lagi hai .
वाह !!! सुंदर व सफल प्रयास...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंकविता के पिटारे में कविताओं का भंडार !
जवाब देंहटाएंवाह, बिलकुल नया आइडिया है।
वाह!
जवाब देंहटाएंक्या बात है.....
हर लाईन में एक नई कविता....
इसे कह सकते हैं, 'कविताओं का गुलदस्ता'
बढिया प्रयास है यह।
यह तो बहुत ही मस्त आईडिया है... अपने पोस्ट्स को भी ऐसे ही डालने की कोशिश होगी एक ही पोस्ट में..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!
अच्छा है प्रयास.......अच्छी बन पड़ी अहि कविता.......आप 'हूँ' ऐसे लिखा किजिये |
जवाब देंहटाएंhahahaha bahot ache
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..अच्छा लगा ...आईडिया पसंद आया
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास ..
जवाब देंहटाएंक्या आईडिया है रीना जी .....लाजवाब
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएंमाला पिरोई है . अच्छा प्रयास
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा . आपकी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद शुभकामनायें
आपके हर पोस्ट नवीन भावों से भरे रहते हैं । पोस्ट पर आना सार्थक हुआ। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंbahut achcha.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सफल प्रयास रहा आपका |
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग में पधारें और मेरी रचना देखें |
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था
वाह,सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंएक बहस उम्दा रचना बन गई है आपकी .... माला में एक और मोटी जुड गया ...
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंशीर्षकों से भी रचनाकारी!
आप हैं बहुत प्रतिभाशाली!!
aapkee tamaanaayein zaroor pooree hogee
जवाब देंहटाएंsundar bhaav se likhee rachnaa
धन्यवाद आप सभी का .
जवाब देंहटाएंयह सब आपके साथ , आशीर्वाद और सुझावों का ही परिणाम है
जो मुझे अपने गलती सुधारने का मौका और कुछ नया करने की प्रेरणा देती है
आपका बहुत - बहुत आभार
जवाब देंहटाएंreena ji bahut hi sundar shabdon ke saath apni baat kahi aapne ...aisa lagta hai mujhe...shukriya...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ! बहुत सुन्दर पिरोया है अपनी रचनाओं को .
जवाब देंहटाएंबधाई
वाह....बहुत सराहनीय प्रस्तुति,कर अपने ही सूत्रों को एक नया अंदाज दिया,बहुत२ बधाई
जवाब देंहटाएंwelcome to new post...वाह रे मंहगाई
वाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
हटाएंbahut hi achchha prayas..... ye bhi kavita bahut sunder lagi.
जवाब देंहटाएंbeautiful :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता। मन को छू गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंKavita ka madhya se rachnaon ko sahejna ka sundar anupam prayas..... main to ab tak nahi seekh payee ki link kaise diya jaata hai....
जवाब देंहटाएंBahut hi anukarniya laga aapka yah prayas..shubhkamnayen!
बहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR SANYOJAN ...BILKUL MAJA AA GAYA ....ABHAR REENA JI
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रयास जो स्वयं में एक बहुत सुन्दर और भावमयी अभिव्यक्ति बन् गयी..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंkya baat hai ek ek krke sari kavitaen padh raha hoon aapki.........
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