हकीकत है ये -- कोई कहानी नहीं....
(नायिका ---सौम्या... नायक ---- प्रथमेश.. ----समीर -----निहालिका..... फिर से एक कोशिश कि है कहानी लिखने कि..कैसी है बताइये जरूर...:-)...)
एक सुन्दर सी पर थोड़ी चुप सी रहनेवाली सौम्या.....और प्रथमेश जिद्दी, नटखट शरारती था...फिर भी ये दोनों दोस्त बन गए.....साथ ही पढ़ना - लिखना . स्कूल जाना - आना....सारा वक्त साथ रहते थे......अगर भगवान ने रात ना बनाई होती तो उस वक्त भी ये साथ रहते....कभी खुद के कामो में व्यस्त कभी एक दुसरे कि पढाई में मदद करते थे...
स्कूल के बाद उन दोनों ने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया. वहां भी इन दोनों की दोस्ती ऐसी ही थी....कॉलेज के सभी छात्रों को लगता था की वे एक दुसरे को प्यार करते है ...पर वे हमेशा इस बात को नकार देते है..कॉलेज का ही एक छात्र जो सौम्या को पसंद करने लगा था....और जब उसे यकीन हो गया की सौम्या और प्रथमेश सिर्फ दोस्त है ,,,तो अपने दिल की बात वो अपने दोस्तों को भी खुलेआम बताने लगा....
तुमसे मिलने के बाद ये अहसास आया
कितने अकेले थे हम ये ख्याल आया
अब जिंदगी तेरे साये में यू ही बीत जाये
बरसो की तन्हाई का अब अंत हो जाए ....
समीर ने अपने प्यार का इजहार सौम्या से भी कर दिया....
पर सौम्या तो इन सबसे बहुत डरती थी इनसे वो बहुत ही उदास हो गयी थी वो प्रथमेश के अलावा और किसी पर भी भरोसा नहीं करती थी ...उसने प्रथमेश को समीर की इस हरकत के बारे में बता दिया...
प्रथमेश ने सौम्या की उदासी दूर करने के लिए.उसे इन सब से छुटकारा दिलाने के लिए कॉलेज के ग्राउंड में सौम्या का हाथ थाम सबके सामने कह दिया की ..वो सौम्या से प्यार करता है, सौम्या और वो साथ साथ है.. सौम्या को इस बात से बहुत ख़ुशी हुई मानों जैसे प्रथमेश ने उसके दिल की बात कह दी हो...और वो उस दिन से कुछ बदल सी गयी थी..
कभी सोचा ना था की यूँ खो जाएगी जिंदगी
किसी के इंतजार में , कभी सोचा न था की यूँ
बदल जाएगी जिंदगी किसी के प्यार में ...
सौम्या प्रथमेश को किसी और लड़की के साथ बात करते हुवे देख नहीं सकती थी....हर वक्त उसके साथ रहने की कोशिश करती थी...प्रथमेश को बात बात पर टोकती हर वक्त किसी न किसी बात को लेकर उससे शिकायते शुरू कर देती...
नजदीकिया इतनी न बढाओ
की हर बात अब शिकायत सी लगे ..
प्रथमेश सौम्या की इस हरकत से नाराज सा खिझा- खिझा सा रहने लगा....कॉलेज ख़त्म हुआ ..और प्रथमेश आगे की पढाई के लिए अमेरिका चला गया. उसे वहां अच्छी नौकरी मिल गयी....और वो अमेरिका में ही रहने लगा...
सौम्या भी नौकरी करने लगी थी..प्रथमेश को बहुत याद करती थी ... प्रथमेश की जुदाई को सह नहीं पाई हर किसी में वो प्रथमेश को तलाशती..
गुलाब पाने की चाहत में
आँख बंद कर चल दिए
और न जाने कितने काँटों से चोट खायी ..
वो शांत सी चुप सी सौम्या जो प्रथमेश के सिवाय किसी और पर भरोसा भी नहीं करती थी वो आज हर किसी के साथ घुमती दिखाई देती है ..बस मरना ही बाकी रह गया था बाकि सारी हदे पार कर दी थी सौम्या ने.....
जिंदगी में उसकी तलाश आखिर कब तक
जो नहीं मिल सकता उसका इंतजार आखिर कब तक ....
समीर ने कई बार सौम्या से बात करनी चाही पर समीर को देखते ही सौम्या बहुत ही गुस्सा हो जाती थी...सौम्या की इस हरकत से समीर लाचार हो गया था...समीर सौम्या पर नजर रखने लगा ...एक गुमनाम दोस्त बनकर उसने सौम्या की मदद करना शुरू कर दिया.....
जब भी वो सौम्या की कोई मदद करता था,,,,फिर चुपके से एक लेटर सौम्या तक पहुंचा देता...
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
सौम्या उन सारे खतों को संभाल कर रखती थी....कई बार उसने ये जानने की कोशिश की ,,, की ये कौन है..पर उसकी कोशिश बेकार हो जाती...
सौम्या जिस ऑफिस में काम करती थी उसी ऑफिस में समीर की बहन भी थी...निहालिका.....
सौम्या और निहालिका दोस्त थे..पर एक दुसरे की पिछली जिंदगी से अंजान....
एक दिन अपने जन्मदिन पर निहालिका सौम्या को अपने घर ले गई ...
उसने अपने परिवार से मिले सभी गिफ्ट सौम्या को दिखाए... उसमे एक ग्रीटिंग कार्ड था.... सौम्या को वह लिखावट जानी- पहचानी लगी उसने झट से अपने पर्स में से वो लेटर निकाले...ग्रीटिंग कार्ड की लिखावट और ख़त की लिखावट एक जैसी थी....सौम्या ने उस लेटर को अपने पर्स में रख दिया.....और ग्रीटिंग कार्ड की तारीफ करते हुवे निहालिका से पूछा की ये कार्ड उसे किसने दिए है...निहालिका ने कहा : समीर भैया ने..बस अपने समीर भैया के बारे में वो बताने लगी....इससे सौम्या को समीर के बारे में पता चला की वो क्या काम करता है...उसका ऑफिस कहा है....और कई बाते.....
एक दिन शाम के वक्त सौम्या सड़क पार कर रही थी अचानक एक तेज रफ़्तार से ट्रक सौम्या की तरफ बढ़ रहा था....सौम्या घबरा गयी जैसे उसके सुनने - समझने की छमता ही खो गयी हो. और बिच सड़क पर ही स्तब्ध खड़ी हो गयी....ट्रक उसके नजदीक बढता ही जा रहा था....समीर ने देखा और उसे सड़क के किनारे खिंच लाया पास के बेंच पर बैठा दिया....इससे पहले की सौम्या को होश आए और समीर को देखकर वो गुस्सा हो जाये समीर ने हमेशा की तरह एक लेटर सौम्या के पर्स पर रखकर वहां से चला गया....
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
:-)
कुछ समय बाद जब सौम्या को होश आया तो उसने वो लेटर देखा ...
इस बार सौम्या ने उस लेटर के निचे....
तुम्हारा दोस्त
तुम्हारे साथ....:-)
:-)
thanks sameer
today muskan park....
6.30 pm :-)
इसे समीर के घर भेज दिया...
:-)
बहुत ही सुन्दर लिखा है, सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति.
→ आपको सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ ,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
आपका
सवाई सिंह{आगरा }
दोस्ती और प्यार के बीच की रेखा ....
जवाब देंहटाएंजिसे समझने में ...समय लगता है |
रोचक!
शुभकामनाएँ!
सुन्दर कहानी
जवाब देंहटाएंBEAUTIFUL STORY AND LINE COMBINED EACH OTHER AND SUPPORTED .
जवाब देंहटाएंI LIKE IT .
जिंदगी में उसकी तलाश आखिर कब तक
जवाब देंहटाएंजो नहीं मिल सकता उसका इंतजार आखिर कब तक ....
अति सुंदर भाव पुर्ण अभिव्यक्ति ,...अच्छी कहानी
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
बहुत रोचक कहानी.......सुन्दर प्रयास..बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... कहानी नहीं हकीक़त सी लगती है... मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस की शुभकामनाएं.....
जवाब देंहटाएंमन को छू गये आपके भाव
जवाब देंहटाएं....मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....!!!!
बहुत सुन्दर और शैली के तो क्या कहने
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से मातृदिवस की शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर कहानी. सच में प्रेम और दोस्ती में फर्क समझाना चाहिये बल्कि यही तो हमारी धरोहर है जो अलग अलग रिश्तों में सामंजस्य बनाना सिखाता है.
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की शुभकामनाएँ.
बहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंबताओ...हकीकत है या कहानी :-)
nice love story.. :)
जवाब देंहटाएंमेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गई
जवाब देंहटाएंmujhe to ye hakikat hi jyaada lagti hai ji ... achhi shaili lekhan kee...
जवाब देंहटाएंbadhayi ji
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
जवाब देंहटाएंजज्बात कों शब्द और एहसास भरे शब्दों में पिरोया है ... जैसे कोई चलचित्र गुज़र रहा हो आँखों के सामने से ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंतुमसे मिलने के बाद ये अहसास आया
जवाब देंहटाएंकितने अकेले थे हम ये ख्याल आया
अब जिंदगी तेरे साये में यू ही बीत जाये
बरसो की तन्हाई का अब अंत हो जाए .
नि:शब्द, परंतु प्रशंसा के निमित्त मेरे पास कोई विशेषण नही है। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनशील रहें । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
प्रेम की त्रिकोणीय कहानी, लेकिन अंत सुखकर रहा।
जवाब देंहटाएंGood plot good poetic expression .
जवाब देंहटाएंजीवन केवल बीती यादों से नही कटता। भविष्य की ओर देखना ही ठीक,ताकि वर्तमान खराब न हो।
जवाब देंहटाएंi think it may be possible in real life in 21st century also.
जवाब देंहटाएंप्यारी सी सुखद कहानी !
जवाब देंहटाएंकहानी का मूल रूप अच्छा लगा ...पर अधूरी सी भावनाएं हैं जो अभी बहुत कुछ कहती सी प्रतीत हो रही हैं ......सादर
जवाब देंहटाएंbahut दिनों बाद ऐसी रचना पढने को मिली ..कहानी का हुनर hai की वह पाठक को पात्रों के साथ जोड़ de.. एक अजीब सा संशय के स्थिति पैदा कर दे ..एक एक शब्द के साथ ये सफ़र दिलकश लगा..सादर बधाई और अपने ब्लॉग पर आमंत्रण के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कहानी है।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...:))
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कहानी ,पठनीय और उम्दा लेखन शैली |बधाई रीना जी |
जवाब देंहटाएंbeautiful presentation
जवाब देंहटाएंजो मुसीबत के समय साथ हो सच्चा दोस्त वही होता है।
जवाब देंहटाएंकहानी का शिल्प रोचक है।
किशोर मन की भावनाओं को उकेरती सीधी सपाट कहानी .
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना और लाजवाब प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं→ आभार
बहुत ही मौलिक एवं रूचिकर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंक्या कहने .....रोचक |
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरोचक और बेहतर रोमांचक कहानी....
जवाब देंहटाएंबढिया है।
लिखते रहिए।
बहुत सुन्दर... कहानी
जवाब देंहटाएंसरल बहाव..
जवाब देंहटाएंइसपर एक रोमांटिक नॉवेल लिखी जा सकती है...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी सी कहानी है :) :)
thanks sir:-)
जवाब देंहटाएंlove and frndship ke beech me bahut baarik sa fark hai jo dost hai wo love hai means pyaar dosto se hota hai per love ke baad dosti nahi .
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां जी....... अच्छी कहानी |
जवाब देंहटाएंबेहद प्यारी,गीतों भरी कोमल मन की,कोमल प्रेम कहानी
जवाब देंहटाएंदोस्ती और रिश्तों को समझती हुई
बहुत सुंदर
बधाई
कोमल भावनाओं को प्रदर्शित करती अति सुन्दर कहानी !!
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