पुरवाई मेरे मन की
चलती चले - चलती चले
गाँव , शहर , गली- गली
डगर - डगर
पत्तों से लड़ी ,कभी फूलों से मिली
समुंदर में गई लहरों को उछाला
किसी के आँचल को उड़ाए
तो कभी बालों में घुस जाए
किसी की खुशबू को
किसी तक पहुँचाती है
प्रेम फैलाती है , मन बहकाती है
शीतलता लाती है
पुरवाई मेरे मन की
देखो क्या - क्या करती है
मेरा बहता मन
मन काबू में कहाँ
कभी हवा की तरह चले
कभी पंछी की तरह उड़े
जबरदस्ती बैठा दो जमीन पर
तो मन पानी की तरह बहे
मेरा बहता मन
कभी ना रुके ...
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शनिवार, 14 जुलाई 2012
Mera Man *** मेरा मन ***
बुधवार, 11 जुलाई 2012
Barsat Ke Rang Dekho Mere Sang बरसात के रंग देखो मेरे संग ..
आजा बरखा तेरी
राह तकू मैं कब से
झुमने को, नाचने को, गाने को
मन तरस रहा है कब से.....
सुनी जो पुकार है तुने
मन आभारी है तेरा बदरीया
भीगी - भीगी, रिमझिम - रिमझिम फुहार में
पिया संग नाचे ये बांवरिया ....
सावन के झूले डाल दिए है
हिचकोले खाने लगा है मन
हवा संग बहने को,
प्रेम संग बहकने को,
बजने लगा है मन - तरंग ....
तेरी मेरी बातें
वो मीठी यादे
कहाँ ले आई है कहाँ ले जाएँगी
ये प्यार की प्यारी मुलाकाते....
बरसात वो भीगी सी रात
तेरा मेरा मिलना
फूलों सा खिलना
रिमझिम फुहार
चूड़ियों की झंकार
भीगा उनका मन
लाज से झुक गये
मेरे दो नयन ......
सावनी फुहार
हिना की खुशबू
महक उठा है मन
महक उठा है घर - आँगन
इंतजार है अब
कब खिलेगा मेरी
हथेली पर रंग....
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