बचपन से किताबों में पढ़ते
और
लोगों से सुनते आए हैं
"जीवन संघर्ष है "
"मेहनत करने से सफलता मिलती है"
फिर क्यूँ
इस संघर्ष से डरकर
अपना जीवन बर्बाद किया
परीक्षा में फेल हुए
या कम अंक आए तो क्या हुआ...
जीवन का क्यूँ विनाश किया
एक साल की तो बात थी
मेहनत करते तो
फिर सफल हो ही जाते
एक साल के लिए
क्यूँ तुमने अपना पूरा
जीवन बर्बाद किया....
जान देना यह विकल्प
कितना सही था
या परिश्रम करना
तुम्हे रास नहीं था
किस बात की चिंता थी तुम्हें
एक साल पीछे हो गए
लोग हसेंगे
या माता पिता गुस्सा होंगे
इस बात का डर था
मृत्यु को अपनाने से अच्छा
थोड़ा हौसला और दिखाते...
परिश्रम करते
सफल हो जाते...
हँसनेवाले हँसते रह जाते....
जीवन तो बर्बाद न होता..
तेज कदम बढ़ाते..
तो आगे भी बढ़ जाते..
फिर सर उठा कर
चलते...
माता पिता भी खुश हो जाते...
उज्ज्वल भविष्य को ख़त्म
कर मृत्यु की तुमने
क्यूँ राह अपनाई ......
जान देना यह विकल्प
कितना सही था.....
या परिश्रम करना
तुम्हे रास नहीं था ...