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शनिवार, 8 दिसंबर 2012

Hichakiyan * हिचकियाँ *

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तुमसे दूर हूँ कुछ मजबूर हूँ
ना  ई - मेल,, ना मेसेज ...
तुमने मना जो किया है
कैसे तुम्हें याद दिलाऊँ
की तुम्हारी बहुत याद आती है
सबसे सुना है की ,,
किसी को याद करो तो
उसे हिचकियाँ आतीं है...
मै भी तुम्हें याद करती हूँ..
 बहुत ज्यादा ...
क्या पता मेरे यादों की हिचकियाँ 
तुम्हारे दिल को हिलाती हैं या नहीं
शायद।। हिलाती भी हों
पर लोग ये भी तो कहतें है,,
की हिचकियों को ख़त्म करने के लिए 
एक ग्लास पानी काफी है
क्या तुम भी मेरी यादों की गर्माहट को
एक ग्लास पानी से ठंडा कर देते हो
हाँ।। शायद ऐसा ही है
तभी तो नहीं आया अब तक
तुम्हारी तरफ से कोई जवाब...

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रविवार, 2 दिसंबर 2012

darkhwast ** दरख्वास्त **


चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ....

खिंजे- खिंजे से ये तेरे मिजाज क्यों है 
हमसे कोई गीला हुई है तो बता ....

नजरबंद कर रखा है खुद को क्यूँ ए शोख हँसी
हमारी नजर से खुद को यूँ ना छुपा ...

देखने दे जी भर के तेरे सुर्ख होंठो की लाली
होंठो को यूँ होंठो से ना दबा ...

ख्वाब जो सजाएँ हैं तूने अपने पलकों की छाँव में 
उन ख्वाबों में मुझे भी सजा ...

छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल  ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...

यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...

चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ...
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