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बुधवार, 29 जनवरी 2014

dahlij ke par दहलीज के पार...



कल्पनाओं में रंग भर दिए 
इक्छाओं में जान फूँक दी
सपनों को परवाज देकर 
लक्ष्य को आवाज देकर
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार.....
                         हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......

माता -पिता का आशीर्वाद लेकर
कुछ अपनों को साथ लेकर 
मंजिल को यादकर कर 
हे ईश्वर तेरा नाम लेकर 
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार......
                   हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......

कदम-कदम बढ़ाते जाना
अन्य कदमों को भी साथ मिलाना
कुछ खो कर तो बहुत कुछ पाकर 
अनुभव से सीखते - सिखाकर 
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार .....
                    हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ....









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