कैसे हो साजन मेरे
ना कोई संदेशा आया है
झूठी हँसी से चेहरा सजा है
मन का पुष्प मुरझाया है
आँखे भी ना साथ निभाए
रह-रह आँसू झलक आया है
पिया मिलन को तरसे जियरा
ना कोई संदेशा आया है
बाट जोहती दिन और रैना
थक कर हार गए मोरे नैना
थोड़ी सुध -बुध यहाँ की भी ले लो
माँ-बाबूजी का हालचाल ही पूछ लो
ऐसे भी क्या व्यस्त हो रहते
तुम बिन हम क्या कुछ है सहते
बिन पिया के जीना है कितना मुश्किल
पड़ोसिन चुभाती है हर वक्त तानों के कील
घूँट-घूँट तानों के पी रही हूँ
माँ-बाबूजी और बच्चों के लिए जी रही हूँ
चलो छोडो सबकुछ अब
लौट यहाँ तुमको आना है
बहुत हो गई ये रुसवाई
आ जाओ एक बार पिया जी
अब दूर न तुमको जाना है