फ़ॉलोअर

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

kala - kavita कला - कविता


ओ मेरे कलाकार 
सुन लो इस कविता कि पुकार
तुम उतारो अपने मन कि बात .......
अपनी कला में
मै कविता में कहूँगी 
अपने सारे जज्बात ........
तुम चुन - चुन रंग भरना इसमें
मै लिखूँगी शब्दों से सभी सुनहरी याद......
तुम रंगों से जान भरना
मै शब्दों में लिखूँगी हमारे दिल कि बात ....
तुम बनाना नीली चादर ओढ़े रात
मै लिखूँगी सजीले सपनों कि बात .....
तुम बनाना दो प्रेमी का जोड़ा
मै अपनी कविता से पहनाऊँगी उन्हें 
एक-दुजे के बाँहों का हार .....
तुम अपनी कला से सजाना
मेरे मन कि दिवार .....
मै अपनी कविता से करुँगी
तुम्हारे ह्रदय में झंकार ....
ओ मेरे कलाकार 
सुन लो इस कविता कि पुकार ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...