आज कह दूंगी सारी बात
बता दूंगी अपने सारे जज्बात
दिखा दूंगी वो सारी याद
जो उनके ना होने पर
थे मेरे तन्हाई के साथ
फिर करुँगी एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार
की ना जाओ तुम,,
कब तक रह पाऊँगी तुम्हारी यादो के साथ
तुम्हारी कही उन अधूरी बातो के साथ
उन बातो के पूरा होने के इंतज़ार के साथ
जब तुम्हारा आना होता है तो
वो अधूरी बाते पुरानी हो जाती है
फिर एक दौर नयी शुरुवात की
फिर उसमे एक अधूरी बात
कैसे पूरी होंगी वो अधूरी बातें
रुक जाओ तुम इसबार
फिर करती हुं एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार ....
वाह कितना सुन्दर लिखा है आपने, कितनी सादगी, कितना प्यार भरा जवाब नहीं इस रचना का........ बहुत खूबसूरत.......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. विरह की वेदना को आपने शब्द दे दिए है.
जवाब देंहटाएंरुक जाओ तुम इसबार
जवाब देंहटाएंफिर करती हुं एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार ....waah
बहुत खूब ....अधूरी यादो और बातों का सफर ...शब्दों का सटीक वर्णन
जवाब देंहटाएंकैसे पूरी होंगी वो अधूरी बातें
जवाब देंहटाएंरुक जाओ तुम इसबार
यकीनन बातें अधूरी नहीं रहनी चाहिए ...
विरह वेदना की भावाव्यक्ति ,सुंदर शब्दों के संयोजन से रची रचना अच्छी लगी आभार ......
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रीना जी...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
प्रिय से न जाने की गुहार कवयित्री की पीड़ा, उसके दर्द को व्यक्त करती है ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना । बधाई ।
वाह! सुन्दर...अति सुन्दर रीना जी.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति और गीत दोनों बहुत अच्छे लगे.
भावमय कर दिया है.
rina nmaskar, bhut achha likh hae aapne...
जवाब देंहटाएंbhvnaon ko ukerahae .
नया साल मुबारक हो....
जवाब देंहटाएंपता नहीं ये फरियाद किसकी है... किसके लिए है...पर इतना जरुर है कि ये फरियाद कई दिलों में रहती है....कई बार तो फरियाद निकल नहीं पाती..अधूरी किताब कि तरह शुरुआत भी अधूरी रह जाती है......इंतजार अंतहीन हो जाता है...पता चलता है कि हम तो ऐसे मुसाफिर हो चुके हैं जिसकी मंजिल कोई नहीं..बिना मंजिल की तलाश में.......
यादें......
जवाब देंहटाएंइनके सहारे कट जाती है सारी उम्र...... बशर्ते उनमें कोई स्वार्थ न हो........
गहरे अहसास।
बहुत खूब.....शानदार है कविता|
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ,बधाई ।
bhaut hi sundar bhaav.........
जवाब देंहटाएंमनुहार तो ऐसे की गई है कि जाता हुआ वक़्त भी थम जाये, बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे एहसास लिए सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे एहसास लिए सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंरुक जाओ तुम इसबार
जवाब देंहटाएंफिर करती हुं एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार ..आप इतनी प्यारी बाते करेंगी तो खुद-ब-खुद नही जायेगा कोई भी......
सुंदर अभिव्यक्ति,बढ़िया सुंदर भाव की रचना,....
जवाब देंहटाएंwelcom to--"काव्यान्जलि"--
Mere paas shabd nahi hai kehne kooooooooooooooo
जवाब देंहटाएंbus ek hi shabd niklta hai wahhhhhhhhhhhhhhhh
संजय जी,अमित जी,दर्शी जी अंजू जी ,वर्मा जी ,कुश्वंश जी, विद्या जी ,शुशीला जी, राकेश जी , संगीता जी , बिंदास जी , अतुल जी ,इमरान जी ,यशवंत जी, राजपूत जी , सागर जी,अरुण कुमार निगम जी , उपेन्द्र नाथ जी , धीरेन्द्र जी .शर्मा जी .....
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद .....
खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एहसास भरी हुई रचना !
जवाब देंहटाएंसाथ में एक सटीक गाना ....हम क्या से क्या हो गए...
मन को भा गया !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई
जवाब देंहटाएंकभी कभी दिल करता है की लम्हों को रोक लें..
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी कविता ..
kalamdaan.blogspot.com
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
जवाब देंहटाएंवाह जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंमन की बातें बहुत ही सरल शैली में सहजता से कही गई है।
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अहसासों की प्रस्तुति,बेहतरीन रचना,..बधाई
जवाब देंहटाएंwelcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
बहुत से दिलों का हाल लिख दिया है ...
जवाब देंहटाएंमेरी उसकी सबकी बात कहतें हैं ,तेरे ज़ज्बात .शानदार प्रस्तुति मानसिक कुहाँसा शब्दों में उतारती सी .
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति बारहा पढने के काबिल .
जवाब देंहटाएंलोहडी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं.....
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ना जाओ तुम अबकी बार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
बेहद खूबसूरत रचना, हर्फ़ हर्फ़ भावों की दरिया में भिगोये हुए से हैं ! सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और शानदार अभिव्यक्ति .... मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंbehad khubsurati se likha.....mann ko chhuti gai har pankti.....
जवाब देंहटाएंkhuda kare apki dua men asar ho jaye.....
जवाब देंहटाएंजब तुम्हारा आना होता है तो
जवाब देंहटाएंवो अधूरी बाते पुरानी हो जाती है
फिर एक दौर नयी शुरुवात की
फिर उसमे एक अधूरी बात
कैसे पूरी होंगी वो अधूरी बातें
....विरह के दर्द को बहुत सम्वेदना से उकेरा है..बहुत ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...बधाई!
waah!kya baat hai ,bahut hi umda likha aap ne......bdhai.....aap ke blog par pahli baar aana hua,kafi kuch hai yhaan pdhne ko kisi din kafi wqt ke sath aana pdega yhan...avshay aaungi....:)
जवाब देंहटाएंna jao abki baar...bahut hi prem me pagi hui panktiyan...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण फ़रियाद !
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