प्रयास
( मेरी सहेली ने कहा कि, मैं अपनी कविताओ को एक रूप दु तो बस अपनी कुछ कविताओ को एक ही कविता में ढालने का एक छोटा सा प्रयास है शायद आपको पसंद आये ..)
पर तुम से पहली मुलाकात के बाद
मन की बाते कुछ बदल सी गयी
शायरी लिखने लगी हूँ तुम्हारी याद में
आज सबके सामने ये इजहार करती हूँ की मैं भी करती हुं किसी से प्यार
ऐसा ख्याल पहली बार मन में आया है
क्यूंकि मै शायद तुमसे मिली तुम हो ही अलग से..तो क्यों न मन ये मेरा पिघलता
मुझे माफ़ करना कहना तो बहुत कुछ चाहती हूँ पर शब्द नहीं मिल रहे है
अब तो ये शाम की तन्हाई भी तडपाने लगी है
तुम्हारी यादे जो सताने लगी है
क्या हुआ तुम कुछ खफा खफा से लग रहे हो
कल की बात से नाराज हो हमने कहा जो भी तुमसे वो मज़बूरी थी समझा करो
अब माफ़ भी कर दो
करोगे न माफ़
मै जानती थी क्यूंकि मै हु तुझमे कहीं न कहीं
सच है न ये
अब बस ,
बस अब ये दर्द सहा नहीं जाता
चलो फिर से शुरुवात करते है नयी - पूरानी यादो के साथ
सारे गिले - शिकवे भुलाकर एक दूजे के साथ दिया और बाती बनकर
कहो दोगे न तुम मेरा साथ
कहो ना ....