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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

Nav Varsh ki shubhkamnayen नववर्ष की शुभकामनाएँ...



 शुभ वंदन करे हम हे गणराज ...
शुभता ही शुभता ले आओ 
आप हम सबके द्वार...
मंगलमय हो नववर्ष सभी का
दो ऐसा वरदान....
तन मन शुद्ध हो सभी का
रोगों का हो विनाश...
शुभकामना ये मेरी है 
मंगलमय हो सब संसार 
शिक्षा ,उन्नति,प्रगति मिले 
मिले सभी को ढ़ेर सारा ज्ञान ....
पाप दूर हो सभी के मन से
सभी रहे प्यार से 
रखे एक-दूजे का मान...
शुभ वंदन करे हम हे गणराज ...
शुभता ही शुभता ले आओ 
आप हम सबके द्वार...
************************
आप सभी को सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... 
*****************************************




शनिवार, 22 दिसंबर 2012

Ek Boond Ishq एक बूंद इश्क



होंठो की खामोशी ने पलकों के 
भीतर आँखों के कोर में 
एक बूंद इश्क बना दिया .....
आँखों को ठंडक देते उस 
एक बूंद इश्क ने सब कुछ 
धुंधला सा कर दिया .....
उस धुंधलपन को साफ करने के लिए 
जैसे ही पलकें झपकाई ...
वो एक बूंद इश्क आँखों से बहकर 
गालों पर से ढुलकते हुए 
धीरे से ना जाने कहाँ खो गया.......
जहाँ से वो एक बूंद इश्क गुजरा
वहां अब सिर्फ एक गीलेपन की रेखा है
कुछ वक्त में वो भी सुख जाएगी...
फिर उदास चेहरे ......
बुझे मन....
ठंडी आँखोंवाले चेहरे पर रह जाएगी
एक दिखावटी मुस्कान.....
अपने अपनों के लिए....
और मन में एक आस...
प्रेमसागर को पाने की...



शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

Sanwali Bitiya .....साँवली बिटिया .....

रंग सांवला बिटिया का 
कैसे ब्याह रचाऊँगा 
बेटे जो होते सांवले...
शिव और कृष्णा उन्हें बनाता 
बेटी को क्या उपमा दिलाऊंगा ....

पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
पर अपने रंग से थोड़ा सा लजाई है वो .......

गोरा तो गोरी ही चाहे
काले को भी गोरी ही मनभाए
सांवल किसी को क्यूँ ना सुहाए
प्रेम का रंग क्यूँ कोई देख ना पाए ......

वो भी सृजन है देवों का
करुणा , ममता उसमे भी है
घर की लक्ष्मी भी बन दिखाएगी वो
ग़र समझो उसे की वो अपनी है....

सांवली है पर संध्या है वो..
भोर की पहली सांवली बदरिया है वो
मेरी तो राजदुलारी है वो
सांवल है तो क्या??
बिटिया बड़ी ही प्यारी है वो......

पढ़ी लिखी संस्कारी है वो
गुणों से सुसज्जित न्यारी है वो ......


************************

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

Hichakiyan * हिचकियाँ *

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तुमसे दूर हूँ कुछ मजबूर हूँ
ना  ई - मेल,, ना मेसेज ...
तुमने मना जो किया है
कैसे तुम्हें याद दिलाऊँ
की तुम्हारी बहुत याद आती है
सबसे सुना है की ,,
किसी को याद करो तो
उसे हिचकियाँ आतीं है...
मै भी तुम्हें याद करती हूँ..
 बहुत ज्यादा ...
क्या पता मेरे यादों की हिचकियाँ 
तुम्हारे दिल को हिलाती हैं या नहीं
शायद।। हिलाती भी हों
पर लोग ये भी तो कहतें है,,
की हिचकियों को ख़त्म करने के लिए 
एक ग्लास पानी काफी है
क्या तुम भी मेरी यादों की गर्माहट को
एक ग्लास पानी से ठंडा कर देते हो
हाँ।। शायद ऐसा ही है
तभी तो नहीं आया अब तक
तुम्हारी तरफ से कोई जवाब...

-->

रविवार, 2 दिसंबर 2012

darkhwast ** दरख्वास्त **


चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ....

खिंजे- खिंजे से ये तेरे मिजाज क्यों है 
हमसे कोई गीला हुई है तो बता ....

नजरबंद कर रखा है खुद को क्यूँ ए शोख हँसी
हमारी नजर से खुद को यूँ ना छुपा ...

देखने दे जी भर के तेरे सुर्ख होंठो की लाली
होंठो को यूँ होंठो से ना दबा ...

ख्वाब जो सजाएँ हैं तूने अपने पलकों की छाँव में 
उन ख्वाबों में मुझे भी सजा ...

छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल  ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...

यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...

चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ...
***********************************************

शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

Shaniwar Ki Sham शनिवार की शाम



शनिवार की शाम 
जब फुर्सत के पल होते हैं..
और सुकून की सांसे लेते हम..
और हमारे साथ विस्तृत आसमान ...
चमचमाती चाँदनी , ठंडा चाँद...
महकती हवा ,
और गरमागरम चाय की प्याली
एक तुम्हारे हाँथ में,, एक मेरे हाँथ में
हर घूँट के बाद एक अरमान , एक ख्वाहिश
एक सपने , एक वादे
एक तुम्हारी होती उसपर मेरी हाँ
एक मेरी होती उसपर तुम्हारी हाँ..
हर हाँ पर एक मीठी सी मुस्कान..
पर शायद तूम्हारी तरफ से मिठास
कुछ ज्यादा ही हो गयी थी..
इसलिए तुम्हारे विदेश जाने की
बात पर भी मै हाँ कह गयी थी ....
अब देखो ..
वही शनिवार की शाम है..
विस्तृत आसमान 
चमचमाती चाँदनी , ठंडा चाँद...
महकती हवा ,
और गरमागरम चाय की प्याली
बस तुम नहीं..
तुम्हारी जगह तुम्हारी यादों ने ले ली है..
वो कहते हैं न,, अति हर चीज की बुरी होती है..
और अब देखो ,,
तुम्हारी मीठी चाय से
हो गयी न मुझे तन्हाई की डायबिटीज...

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

Sandhya Suhani संध्या सुहानी


संध्या सुहानी  ( हाइकु)

संध्या सुहानी 
मौसमों की रवानी
मुस्कुराहटे


भोर की बेला
कोहरे का था साया
हम अकेले

बातें अंजानी
लगती अपनी सी
मिलने लगे

मै और तुम
हो गए सिलसिले
मुलाकातों के

मनभावन
तेरा मेरा साथ है
आ पक्का करें

सिंदूरी माँग
काले मोती सजे है
सीने से लगे

गहन प्रेम
सुन्दर फुल खिले
महका घर

प्यारा संसार
तेरा मेरा प्यार है
पूर्ण हुई मै

हम साथ है
साथ - साथ रहेंगे
जन्मों तलक


संगीता स्वरुप जी के ब्लॉग पर हाइकु पढ़ती थी..
वहीँ से प्रेरित होकर मेरा भी मन किया..
फिर एक नया प्रयास "हाइकु" में बताइए कितनी सफल हूँ ...
हूँ भी या नहीं...
:-)




रविवार, 11 नवंबर 2012

Shubh Dipawali *** शुभ दीपावली ***



आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ....

मन के अँधेरे दूर भगाएँ 
मन में नया विश्वास जगाएँ ...

रोते हुए बच्चों को हसाएँ
सुने आँगन में प्यार के दीप जलाएँ ...

एक दीप जलाकर ,, एक पौधा लगाएँ
रोशनी के साथ ही हरियाली फैलाएँ ...

भूखे को रोटी खिलाएँ
भटके को राह दिखाएँ ...

भ्रष्टाचार को दूर भगाएँ
देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाएँ ...

निराशाओं में आशा बधाएँ
बुराइयों से खुद को बचाएँ ...

हाथ मिलाएँ , प्रेम बढाएँ

मन के सारे भ्रम मिटाएँ ...

अच्छा सीखे और सिखाएँ
आओ इसबार दिवाली कुछ यूँ मनाएँ
चारों ओर खुशियों के दीप जलाएँ ...

आप सभी को सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ 
****************************


रविवार, 4 नवंबर 2012

Usaki Duri Ka Ye Ahsa Khalata Bahut Hai उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है


 उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...

तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...

दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...

उसकी इबादत - ए- मोहब्बत इस कदर भा गयी है मुझे
की उसको पाने की खातिर दील मचलता बहुत है...

खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
उसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...

उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...



रविवार, 28 अक्तूबर 2012

Mera Wajud Tum Sambhale Rakhana ** मेरा वजूद तुम संभाले रखना **


मै रहूँ ना रहूँ तुम्हारी जिंदगी में 
मेरा वजूद तुम संभाले रखना ....
मेरी यादें अपनी यादों में सजाकर रखना
कभी - कभी मुझे यादकर मुस्कुराते रहना ....
जरुरी नहीं बंधन सात जन्मों का ही हो
मेरे अहसासों को गांठ बांधकर 
अपने सीने से लगाए रखना .......
पर कभी मुझे खुद से जुदा न करना ......
जब सब मिले मुझसे महफ़िल - ए - आम में सनम
तुम चुपके से कभी मेरी तनहाइयों से तो मिलना
जब सब डाले मेरे अंत शरीर पर फूल सनम ,,,,
सबके जाने के बाद तुम दो बूंद 
आँसू जरुर बहाना....
मुझे अपनी यादों में सजाना 
पर कभी मुझे खुद से जुदा मत करना....
मै रहूँ ना रहूँ तुम्हारी जिंदगी में 
मेरा वजूद तुम संभाले रखना
मेरी यादें अपनी यादों में सजाकर रखना .....
पर कभी मुझे खुद से जुदा मत करना....
*********************************************


शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

Ruthe Huve Ho Kyun रूठे हुवे हो क्यूँ...




खता कुछ कर गई मैं 
पर वफ़ा भी कम ना की....

दी सदायें मोहब्बत की बहुत
पर उसने माफ़ी ना दी....

दी दलीले बहुत खता की
पर उसने सजा ही दी....

रूठ बैठे है वे जालिम
 छोटी सी बात पर.......

और कहते रहे सभी से
 की हमने वफ़ा ना की....

कब तक मनाएगी रीना
 उस रूठे मोहब्बत को......

जिसे तेरे दर्द - ए - दिल की 
धड़कन  भी सुनाई ना दी.....

खता कुछ कर गई मैं 
पर वफ़ा भी कम ना की....






रविवार, 14 अक्तूबर 2012

Kaisy -Kaisy Boli कैसी - कैसी बोली...




बोलियों की बोली                                                      
सबसे अच्छी बोली..
काम करवाने में सफल है 
सुनों - सुनाओं
रोज उपयोग में लाओ 
मीठी बोली..








इस बोली पर किसी का रोक नहीं 
सब पर इसका दावा है
प्रेमी - प्रेमियों के लिए
सबसे बढियाँ बोली
दिल जितने में सफल 
सुन्दर - सुन्दर मनमोहिनी
   प्यारी बोली...






थोड़ा - थोड़ा प्यार
थोड़ा - थोड़ा टकरार 
कभी देती माँ का प्यार                                                          
कभी सास बनकर रहती तैयार 
बहुओं की प्यारी सास 
सास की प्यारी बहुएँ
करे एक - दूजे पर प्रहार
सास-बहु की ये 
    तीखी बोली...





" मै " का महत्व बढ़ाना है 
सबसे आगे जाना है
तो बोलो ऐसी बोली
जो कर दे सबको पस्त
सबसे अधिक वे लोग करते
 है इसका इस्तेमाल
जो ना देख सके किसी को मस्त
वो बोलें हैं 
कड़वी बोली..





कर दे काया पलट सभी का
रंगीन , खुशहाल जीवन में                    
 स्याह रंग भर दे
करती कमाल झट - फटाफट
सबसे खतरनाक,, सबसे असरदार               
ऐसी है ये
जहरीली बोली...

कैसी - कैसी बोली...




-->

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

Sahara Nahi Sath Dene Aaya Hun सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ..


सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ.....
तेरे गम को भुला दूँ....
ये नहीं कह सकता
हाँ तेरा गम बांटने आया हूँ.....

रिश्ते तो बहुत निभाए है तुने
मै अपनी दोस्ती निभाने आया हूँ......

खुबसूरत नजारों की  बात नहीं करता मैं 
पर मैं अपनी नजरों से तुझे दुनिया दिखने आया हूँ....

शोहरत देने की हैसियत नहीं है मेरी
पर मै तुझे खुशियाँ देने आया हूँ.....

मंजिल तक पहुँचा दूंगा ये नहीं जानता 
हाँ पर तेरे - मेरे मंजिल को एक करने आया हूँ.......

आशियाना तो नहीं बना सकता मै
हाँ पर तुझे एक प्यारभरा घर देने आया हूँ.....

रंग कितने ला पाऊंगा
तेरे जीवन में इसका तो पता नहीं
हाँ पर सिंदूरी रंग में तुझे रंगने आया हूँ......

कितने चाँद -तारे सजा पाउँगा
तेरे दामन में ये खुदा ही जाने
पर मै तेरे दामन को खुशियों से भरने आया हूँ....

झूठे वादे नहीं करता मै
पर मै तुझे अपना बनाने आया हूँ...
सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ...

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

Ahsas अहसास ...


दर्द 
दर्द जब गहराता है
उदासी जब आती है
जब कोई साथ नहीं निभाता
जब किसी का साथ नहीं भाता
अश्रु ही भाता है
अश्रु ही साथ निभाता है
बहता है आँखों से 
सारे दर्द बहा ले जाता है
मन खाली सा
हल्का - सा हो जाता है
दर्द जब गहराता है..



सपने
नाहक सपने आते है
आँखों में बसते है
समाते है
दर्द देते है

सुकून ले जाते है
पुरे नहीं होते
टूट जाते है
तो क्यूँ ये सपने आते है...





अहसास
अहसास प्यार लाता है
प्यार खुशियाँ लाता है
खुशियाँ थोड़े गम भी साथ ले आता है
गम बेचैनी लाता है
बेचैनी तड़प ले आता है
तड़प दर्द ले आती है
दर्द दिल को पिघलाता है
पिघला दर्द आँखों से बहता है
जो आँसू कहलाता है
आँसू तब तक ना थमते है
जब तक तू ना आता है
जब तू आता है
मेरा अहसास तेरे
प्यार में खो जाता है
और तेरा प्यार मुझे
मेरी ख़ुशी का अहसास दिलाता है...






शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

Sawal सवाल




कितने सवाल थे तुम्हारे 
एक मैं ही क्यूँ 
और भी तो कई है इस जहाँ में
क्यूँ चुना है तुमने मुझे
अपने लिए बताओ ना ???

अब क्या कहूँ 
क्यूँ चुना है तुम्हें
क्यूँ चाहा है तुम्हें...
तुम्हारा ये पागलपन...
बार -बार ये सवाल पूछना 
मेरी आवाज से ही 
तुम्हारा पहचान लेना
की, क्या है मेरे मन में 
बस
और कुछ पूछना है तो
मुझसे नहीं मेरी आँखों से पूछो
जो कुछ किया है उसने किया है
तुम्हें देखकर पलकें छपकने 
को तैयार ही ना था.
एक भी पल ना गवाँकर
भर लिया तुम्हें अपनी आँखों में 

मुझसे नहीं मेरे दिल से पूछो 
जो तुम्हें देखकर जोर - जोर से
धड़कने लगा,,
कितना समझाया इसे फिर भी
तुम्हें बसा लिया अपने दिल में 
और देखो तुम इस दिल की 
धड़कन बन गए...

मुझसे नहीं मेरे मन से पूछो 
जो तुम्हें ही सोचता रहता था
इस मन ने तो और भी 
आदत ख़राब कर दी थी मेरी...

मुझसे नहीं मेरे ख्वाबों से पूछो 
जिसमे रोज तुम्हारा 
आना जाना था..

मुझसे नहीं मेरी बेचैनियों से पूछो
जो तुम्हें एक नजरभर 
देख लेने को बेताब था...
उफ्फ्फ ||||
कितने सवाल है तुम्हारे..

दे दिए जवाब
तुम्हारे सवालों के...
अब ना पूछना कभी..
की क्यूँ चाहा है तुम्हें..
क्यूँ बनाया है तुम्हें अपना...





रविवार, 16 सितंबर 2012

Mera Raaz **** मेरा राज ****


जीवन की कई बातें 
कुछ अपनी , कुछ दुनिया की
कुछ पूरी , कुछ अधूरी
ये सारी बातें मेरी डायरी में बंद
जो ना कह पाती हूँ किसी से
वो कहती हूँ  सिर्फ तुमसे
मेरी डायरी,,,
मेरे जीवन का राज हो तुम
छुपाकर रखना अपनी आगोश में
मेरे जज्बात को
मेरी पीर को मेरे भाव को
कहीं कोई देख ना ले तुम्हें 
जान ना जाए की मै क्या हूँ
हँसती तो हूँ पर आँखों में सैलाब लिए
होंठो पर मुस्कान है
पर दर्दभरी जुबान है
मैं हूँ एक खामोश लहर
जो उठना चाहती हूँ ऊँचा
ऊँचा और ऊँचा 
इक्षाओं की गठरी बांध के
ख्वाइशों को थैले में भर के
सौंप दिया है तुम्हें
जरा संभल के रहना
कभी किसी के हाँथ ना आना
कोई मनचला ना देख ले तुझको
खोजते - खोजते ना पा जाए मुझको 
खेले मेरी पीर के साथ
भावनाओं की हँसी उड़ाए
तब क्या होगा जब मेरी 
खामोश भावनाएँ
उसके शोर में गुम हो जाएगी 
ना - ना - ना 
ऐसा नहीं होना चाहिए 
मेरी डायरी,,,
तुम मुझे भर लो खुद में 
और आओ मैं तुम्हें 
छुपा दूँ कहीं ।।।।






गुरुवार, 6 सितंबर 2012

Kyunki Tum Adhure Ho क्यूँकी तुम अधूरे हो...



क्यूँकी तुम अधूरे हो...
जिस तरह मेरी खुशी से
तुम्हें खुशी होती है
उसी तरह तुम्हारी खुशी से
मुझे खुशी होती है
तुम्हारे ही कहने पर 
मैंने अपनी दुनिया बसा ली
फिर क्यूँ नहीं तुम मेरे
कहने पर अपनी दूनिया बसाते हो...
मैंने तुम्हे खुशी तो दे दी
पर मेरी खुशी का क्या
और जब मै ही खुश नहीं
तो तुम किस बात पर खुश हो
मुझे दुखीकर खुश हो
बताओ ना...
किस गलतफहमी में खुश हो तुम
चाहे जो भी हो 
ये जान लो तुम
मेरे दुःख की सबसे 
बड़ी वजह तुम हो
क्यूँकी तुम अधूरे हो
अकेले हो
समझे...


शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

Lebalon ka Kissa लेबलों का किस्सा .....



लड़की ; कॉलेज के दिन से ही तुम्हारी आदत थी . कुछ कहना होता है तो सीधे - सीधे मुँह से ही नहीं कहोगे ,,बस लेबल पर लिखकर उसे चिपका दोगे
कभी क्लास की बेंच पर ,,
तो कभी कैंटीन की टेबल पर...

लड़का ; मेरी यही आदत तो तुम्हें अच्छी लगती थी तब ...

लड़की ; हाँ पर तब,,,,

लड़का ; ( बिच में ही रोककर ) क्या तब.....और तुम भूल गई जब कभी मेरा ये लेबल तुम्हें नहीं दिखता तो तुम कितना बेचैन हो जाती थी...
सब जगह इसे खोजती...
         याद करो वो पल जब मैंने तुमसे अपने प्यार का इजहार किया था

लड़की ; ह्म्म्म लेबल पर लिखकर

लड़का ; तो तुम कितना खुश हूई थी उसदिन...फिर तुमने भी तो इकरार किया था..

लड़की ; ह्म्म्म||| लेबल पर लिखकर....

लड़का ; क्या तुम ये लेबल की रट लगाए हो ????

लड़की ; लो.... मै तो सिर्फ बोल रही हूँ तो तुम्हें इतना बुरा लग रहा है ..
           और तुम..तुम तो अपनी सुबह भी शुरू करते हो तो, लेबल के डब्बे से लेबल निकलते हुए और रात में लेबल पर  good night.sweet dream love u:-) सब लिख दोगे और रख दोगे उसे मेरे तकिये के नीचे .....
            ओफ्फोह |||
             परेशान हो गयी हूँ मै...

लड़का ; क्या हुआ बताओ ना ..क्यूँ इतना नाराज हो तुम ????
              कभी यही तो तुम्हें अच्छा लगता था और अब इसी बात पर तुम नाराज हो...


लड़की ; अगर तुम मुझसे प्यार करते हो और मुझे खुश देखना चाहते हो तो बंद करो ये लेबलों का किस्सा ...फेंक दो लेबल के डिब्बे को ...

       " कभी मेरे पास घंटे दो घंटे बैठकर प्यार के दो मीठे बोल तो बोलो.... "

लड़का ;  चलो मेरे साथ....
लड़की ; कहाँ ??
लड़का ;चलो तो कुछ मत पूछो ...
( एक पार्क में ले जाता है वहां एक छोटे से तालाब के किनारे एक बेंच पर दोनों बैठते है....तभी लड़का ...लड़की को अपनी कविता सुनाता है )
मेरी कल्पना का साकार हो तुम
मेरी शोना मेरा प्यार हो तुम
जो सोचा था ख्वाबों में
वो हकीकत हो तुम
जो चाह था पाना
वो कीमती हो तुम
जो ना चाहूँ कभी खोना
वो तुम हो मेरी शोना , मेरी शोना
मेरे लबों पर गीतों का फसाना हो तुम
मेरी खोमोशी में गुनगुनाता गाना हो तुम
मेरी कविता में लिखा हर शब्द हो तुम
मेरा दिल मेरी जान हो तुम
मेरी शोना मेरा प्यार हो तुम
     अब बोलो..???

लड़की ; वाह वाह
( मजाक के मूड में )
अच्छा तो ये बताओ अगर मै तुमसे झगड़ती नहीं तो तुम मुझे यहाँ लेकर नहीं आते... और ना ही ये कविता तुम मुझे सूनाते..

लड़का ; तो

लड़की ; अरे तो क्या ...
           " मै तो सोच रही हूँ की लेबल तो छोटा होता है न ,,,तो इतनी बड़ी कविता तुम लेबल पर लिखते कैसे                                  ???
     ( दोनों हंसते हुए)

लड़की ; मेरे झगड़ने का कितना फायदा हुआ न,,,
इतनी प्यारी सी कविता भी सुन ली
और वो भी तुम्हारे मुँह से ..
और इन लेबलों से भी पीछा छुटा...
(लड़की फिर सोच में पड़ जाती है...)

लड़का; क्या हुआ? किस सोच में हो..????

लड़की ; वही की इतनी बड़ी कविता तुम लेबल में लिखते कैसे ? और ना लिखते तो मुझे पता ही ना चलता है न ???

लड़का ; हँसते हुए...( अपने जेब से लेबल का एक सेट निकालता है जिसे उसने गोंद से चिपकाकर एक लड़ी बना ली थी ,,उसपर ही उसने यह कविता लिखी थी.. )
          लड़की के हाथ में देता है..

लड़की ; ( इसे देखकर चौक जाती है और हँसते हुए कहती है )
                  ओफ्फोह || हे भगवान.. और लड़के को गले से लगा लेती                                                
                      है..
( दोनों घर जाते है )

घर आकर लड़की उस लेबल की लड़ियों को अपने बेडरूम में लगा देती है..
:-) :-)

प्यार की हल्की -फुल्की टकरार....

बुधवार, 22 अगस्त 2012

Kuch Tum Kuch me कुछ तुम , कुछ मै


कहना होता है कुछ तुम्हें
तो कह दीया करो
मन में छुपाकर
कोई बात रखा ना करो
जो होगा सही तो
प्यार से इकरार कर लूंगी मै 
अगर नहीं तो
ख़ुशी से स्वीकार 
कर लेना तुम
एक-दूजे के है हम
फिर संकोच कैसा ??
कुछ तुम कहो
कुछ मै कहूँ 
सुने एक-दूजे की
माने दिल की भी 
और साथ दे
जब एक-दूजे का
तो फिक्र कैसी
कुछ तुम , कुछ मै 
और फिर सब
पूर्ण 
संपूर्ण
.....

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

Mera Pyara Khwab *** मेरा प्यारा ख्वाब ***



सुनों ना
कुछ कहना है तुमसे
तुम क्यूँ इतना
दूर हो मुझसे
पता है कल रात
एक ख्वाब देखा मैंने..
जिसमे तुम हो ,,मै हूँ
और वो सुनहरी रंगबिरंगी संध्या
आकाश कुछ नारंगी , कुछ नीला
थोड़ा सा काला और कहीं - कहीं
पीला रंग लिए ,,,
मद्धिम रोशनी बिखेर रहा था..
और हम समुंद्र के कीनारे बैठे
आसमान की ओर ताकते
उन बदलते रंगों की गीनती कर रहे थे
जब भी गीनती में चुक होती
एक - दूजे को देख जोर - जोर से हँसते
कितना सुकूनभरा वो पल था
कितनी इक्छाएँ दबी थी मन में
कितनी शिकायते भी थी...
कभी तुम कहते कुछ..
कभी मै बताती कुछ...
हाय |||||
कितना खुबसूरत और
प्यारभरा वो पल था
सुनों ना ,,,
चलो अब जल्दी से
लौट आओ
इस ख्वाब को पूरा कर दो
कुछ पल अपने साथ
वो सुकूनभरे पल दे दो......




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