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शनिवार, 24 मार्च 2012

Kya Karati Mai? क्या करती मै ?




यादो के दिए फिर से जल गए 
आज अचानक से एक मोड़ पर 
वो फिर से मिल गए 
एक वक्त के लिए सब ठहर गया 
बस हवा चलती रही  ,,,और झोंको से मैं
 खिसकती रही उनके पास 
आँखे तो एक टक उन्हें देखती ही रह गई
और इन खुली आँखों में यादो की वो तस्वीर सी चल गई 
वो पहली मुलाकात से लेकर जुदाई
 तक की सारी यादे घूमने लगी 
सहसा एक दुसरे की मिली जो नजर 
लब थे खामोश पर बाहें मिलने को बेसबर 
वो प्यार के हरपल याद आने लगे 
वो रूठना - मनाना 
वो चीखना - चिल्लाना 
वो हँसना - मुस्कुराना 
सहसा वो गीत भी कानो में गुजने लगा 
जो उसने गाए थे कभी सिर्फ मेरे लिए 
"अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं"...
वो मेरी तस्वीर जो उसने बनाई थी कभी ,,,,,
जिसे वक्त के दर्द ने और उसकी जुदाई की तड़प ने
धुमील सा कर दिया ,,
आज वो आँखों के सामने रंग बिखेरते से लगे....
उनको देखा तो सब कुछ सुहाना सा हो गया 
काली स्याह रात में भी रोशनी छाने लगी
पर हवाओ के साथ उडता एक तिनका आया
जिसके स्पर्श ने मुझे झकझोर कर रख दिया 
और आज के हकीकत से मिला दिया 
की ये वही शख्स है 
जिसने स्वार्थ और बड़प्पन में तुझे भुला दिया था,,,
क्या करती मै अपनी सारी यादों और खुशियों 
को समेट कर रास्ता बदलने के सिवाय 
क्या करती मैं ???? 



       just a poem.                   

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