किरचे तेरी यादो के संभाले थे अब भी
दो को जोड़ दिया है
एक अभी जोड़ रहा हूँ .....
कुछ बाकि पड़े है अभी.....
किरचे तेरे ख्वाबों के जो सजाये थे तूने कभी
अपनी हँसती आँखों में
तीन ही तो थे ........
एक तुम अपने साथ ले गई
आजीवन साथ - साथ रहने के .......
एक क्या था कभी बताया भी तो नहीं.........
जब भी पूछता हूँ तो टाल दिया करती थी...
एक देखो मैंने पूरा करके सजा दिया है..........
किरचे हमारे अरमानों के जो शीशे से भी नाजुक थे
तुम्हारे जाते ही कुछ टूट गए थे.....
कुछ संभाल लिए थे वक्त रहते ही......
उन्हें भी तो ठीक करना है...
उनमे तुम जो बसी हो...
उन्हें कैसे टूटने दे सकता हूँ .........
तुम्हारे ख्वाब, तुम्हारे सपनों को मैं जरुर पूरा करूँगा
तुम्हे फिर ले आऊँगा हमारी ख्वाबों की हंसती दुनिया में..
कुछ यादें जिन्हें अभी जुड़ना बाकी है
सोच रहा हूँ उन्हें तुम्हारे साथ पूरा करूँ...
बोलो दोगी न तुम मेरा साथ ?????