गुलाबी सी रंगत लिए
जब वो आई आँखों में
ख़ुशी का सागर उमड़ने लगा .....
ममता को और भी
करीब से जाना .....
जब खुद माँ बनी
और माँ की ममता
को पहचाना ......
हर वक्त हर बात पर
दिल घबरा जाता था ....
जब भी रोती मेरी गुड़िया
दिल मेरा सहम जाता था ....
चहरे पर उसके
हरपल मुस्कान आये ....
कभी कोई तकलीफ
न उसे सताए ....
गुड़िया मेरी बड़ी हो जाये
पढ़े - लिखे खूब नाम कमाएँ ....
हर पल दिल से बस
यही दुआ निकलती है ......
खुश रहे मेरी गुड़ियाँ
हर माँ की तो बस
यही चाह रहती है.....
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बहुत प्यारी सी गुडिया है बिलकुल कविता जेसी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ममता का भाव, सुंदर कविता सुंदर सी गुड़िया के लिए ...सुख-शान्ति, समृद्धि, प्रसन्नता, सफ़लता एवं आरोग्य की मंगलकामनाओं के साथ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!!
जवाब देंहटाएंआभार राजेंद्र जी..
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंममतामयी रचना।
जवाब देंहटाएंमेरी सोच मेरी मंजिल
ममता के हिलोरे लेती रचना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
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