होंठो की खामोशी ने पलकों के
भीतर आँखों के कोर में
एक बूंद इश्क बना दिया .....
आँखों को ठंडक देते उस
एक बूंद इश्क ने सब कुछ
धुंधला सा कर दिया .....
उस धुंधलपन को साफ करने के लिए
जैसे ही पलकें झपकाई ...
वो एक बूंद इश्क आँखों से बहकर
गालों पर से ढुलकते हुए
धीरे से ना जाने कहाँ खो गया.......
जहाँ से वो एक बूंद इश्क गुजरा
वहां अब सिर्फ एक गीलेपन की रेखा है
कुछ वक्त में वो भी सुख जाएगी...
फिर उदास चेहरे ......
बुझे मन....
ठंडी आँखोंवाले चेहरे पर रह जाएगी
एक दिखावटी मुस्कान.....
अपने अपनों के लिए....
और मन में एक आस...
प्रेमसागर को पाने की... |
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शनिवार, 22 दिसंबर 2012
Ek Boond Ishq एक बूंद इश्क
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