रात की चादर में
लिपटा है
चाँद - तारों से बातें
करता है
सितारों से
सीखता है गिनतियाँ
बचाता है खुद को
तेज हवाओं से
ढूंढता है गर्माहट
अपने हाथों की
रगड़ में
मुँह से निकलते
भाँप में
घुटनो को पेट तक
सिकोड़ लेता है
फटे चीथड़ों में
लिपटा हुआ
मेरे देश का भविष्य
या कह लो
अँधेरा भविष्य