चुपके - चुपके यूँ ना जला
आजा अब सामने भी आ ....
खिंजे- खिंजे से ये तेरे मिजाज क्यों है
हमसे कोई गीला हुई है तो बता ....
नजरबंद कर रखा है खुद को क्यूँ ए शोख हँसी
हमारी नजर से खुद को यूँ ना छुपा ...
देखने दे जी भर के तेरे सुर्ख होंठो की लाली
होंठो को यूँ होंठो से ना दबा ...
ख्वाब जो सजाएँ हैं तूने अपने पलकों की छाँव में
उन ख्वाबों में मुझे भी सजा ...
छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...
यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...
चुपके - चुपके यूँ ना जला आजा अब सामने भी आ ...
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रविवार, 2 दिसंबर 2012
darkhwast ** दरख्वास्त **
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बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
वाह क्या बात है रीना जी बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंचुपके - चुपके यूँ ना जला
आजा अब सामने भी आ ...
कोमल भाव युक्त शब्दों का उतनी ही सुन्दर तस्वीर के साथ अद्भुत संयोजन...!!!
जवाब देंहटाएंमहसूसियत से भरी इस अच्छी रचना के लिए मेरी बधाई और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता रीना जी |
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत चित्रण.....वह
जवाब देंहटाएंअलग रहते हुए भी सबसे इतना दूर क्यों होते
जवाब देंहटाएंअगर दिल में उठी दीवार में हम दर बना लेते....
यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
जवाब देंहटाएंदरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...
छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...
बहुत ही सुन्दर भाव लिए , एक सम्पूर्ण रचना है.ख़ास कर उपरोक्त लाइने काफी पसंद आई.
सुंदर रचनाः)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं सुकोमल अभिव्यक्ति ..........शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
धन्यवाद सर जी
हटाएं:-)
बढ़िया बढ़िया चित्रण
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
बहुत ख़ूबसूरत.
जवाब देंहटाएंनाजुक ख्वाहिशों की खूबसूरत तस्वीर.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिवयक्ति |
जवाब देंहटाएंसबसे बढ़िया व वाल्ट जैसी सिक्यूरिटी गूगल का भरोसा
वो देखो किरन सी लहराई...
जवाब देंहटाएंआई रे आई रे "हँसी" आई... :-)
बहुत सुंदर रचना रीना जी!:)
~सादर!!!
शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब.
जवाब देंहटाएं"तुझ से दूर रात का पहर..रौशनी हर जगह है पर दिल में है अंधेरा ..इक इक पल जैसे युग बीते...तुम लौट आओ तो ...रोशन हो दिल के दिए..."
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह बहुत ही मनभावन और लाजवाब रचना...|
सादर |
बहुत खूबशूरत सुंदर जज्बात,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: बात न करो,
छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
जवाब देंहटाएंमै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा
....बहुत सुन्दर भाव.
चुपके चुपके प्रेम में जलने में शायद मजा है !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंकाफी सुंदर भाव !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंpyara sa bhaw...
जवाब देंहटाएंkhubsurat ahsaas..
behtareen.:)
छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
जवाब देंहटाएंमै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...
यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...
चुपके - चुपके यूँ ना जला
आजा अब सामने भी आ ...
खूबसूरत भाव
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
जब आदत हो उनकी चुपके चुपके जलाने की तो सामने कैसे आएं वो ... बहुत लाजवाब शब्द ...
जवाब देंहटाएं