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रविवार, 2 दिसंबर 2012

darkhwast ** दरख्वास्त **


चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ....

खिंजे- खिंजे से ये तेरे मिजाज क्यों है 
हमसे कोई गीला हुई है तो बता ....

नजरबंद कर रखा है खुद को क्यूँ ए शोख हँसी
हमारी नजर से खुद को यूँ ना छुपा ...

देखने दे जी भर के तेरे सुर्ख होंठो की लाली
होंठो को यूँ होंठो से ना दबा ...

ख्वाब जो सजाएँ हैं तूने अपने पलकों की छाँव में 
उन ख्वाबों में मुझे भी सजा ...

छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल  ए हमदम
मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...

यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...

चुपके - चुपके  यूँ ना जला 
आजा अब सामने भी आ ...
***********************************************

29 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है रीना जी बहुत सुन्दर
    चुपके - चुपके यूँ ना जला
    आजा अब सामने भी आ ...

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  2. कोमल भाव युक्त शब्दों का उतनी ही सुन्दर तस्वीर के साथ अद्भुत संयोजन...!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. महसूसियत से भरी इस अच्छी रचना के लिए मेरी बधाई और शुभकामनाएँ।

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  4. बहुत ही ख़ूबसूरत चित्रण.....वह

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  5. अलग रहते हुए भी सबसे इतना दूर क्यों होते
    अगर दिल में उठी दीवार में हम दर बना लेते....

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  6. यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
    दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...
    छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
    मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...

    बहुत ही सुन्दर भाव लिए , एक सम्पूर्ण रचना है.ख़ास कर उपरोक्त लाइने काफी पसंद आई.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर एवं सुकोमल अभिव्यक्ति ..........शुभकामनायें।

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  8. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं
  9. वो देखो किरन सी लहराई...
    आई रे आई रे "हँसी" आई... :-)
    बहुत सुंदर रचना रीना जी!:)
    ~सादर!!!

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  10. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  11. "तुझ से दूर रात का पहर..रौशनी हर जगह है पर दिल में है अंधेरा ..इक इक पल जैसे युग बीते...तुम लौट आओ तो ...रोशन हो दिल के दिए..."
    हर बार की तरह बहुत ही मनभावन और लाजवाब रचना...|

    सादर |

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  12. छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
    मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा

    ....बहुत सुन्दर भाव.

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  13. चुपके चुपके प्रेम में जलने में शायद मजा है !

    जवाब देंहटाएं
  14. छोड़ दे ये बेरुखी , ए संगदिल ए हमदम
    मै हूँ दिया मेरी ज्योत तू बन जा...

    यूँ मेहरूम ना कर अपने इश्क से मुझे
    दरख्वास्त है मेरी तुझसे अब मान भी जा...

    चुपके - चुपके यूँ ना जला
    आजा अब सामने भी आ ...

    खूबसूरत भाव

    जवाब देंहटाएं
  15. जब आदत हो उनकी चुपके चुपके जलाने की तो सामने कैसे आएं वो ... बहुत लाजवाब शब्द ...

    जवाब देंहटाएं

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