उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...
तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...
दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...
उसकी इबादत - ए- मोहब्बत इस कदर भा गयी है मुझे
की उसको पाने की खातिर दील मचलता बहुत है...
खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
उसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...
उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...
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रविवार, 4 नवंबर 2012
Usaki Duri Ka Ye Ahsa Khalata Bahut Hai उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
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सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।
जवाब देंहटाएंदुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।
मर्मस्पर्शी एहसास
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेम मों क्या शब्द कहना, मौन ही अभिव्यक्त है यह।
जवाब देंहटाएंदिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
जवाब देंहटाएंदरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...
अद्भुत एहसास के साथ अथाह प्रेम की अनुभूति और अभिव्यक्ति
हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए
जवाब देंहटाएंहम तो दिल तक चाहते थे तुम तो जां तक आ गए...
वाह सर ,,इस दो पंक्ति में भावों का सागर है..
हटाएंप्यार ही प्यार..
:-)
आभार सर जी...
जवाब देंहटाएं:-)
मन के भावों का सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंउसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
Reena Maurya
मेरा मन पंछी सा
सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।
दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।
भावनाओं का उच्छ्वास उड़ेल दिया है रचना टिपण्णी में आपने .बधाई .
ओह, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
ये खलिश जीने का सबब बन कर रहेगी....
जवाब देंहटाएंसुन्दर एहसास..
अच्छी रचना रीना...
सस्नेह
अनु
सुन्दर प्यार भरे अहसास... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंतमन्ना पूरी करिए ... सुंदर गज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंमजा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफ़साना,
जवाब देंहटाएंकही से तुम वयां करते,कही से हम वयां करते,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
बेहद खूबसूरत रचना वाह क्या बात है दिल में उतर गई आपकी ये रचना.
जवाब देंहटाएंदिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है
मर्मस्पर्शी खूबसूरत रचना .......
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंतुम्हें छोड़ के.... मर जाने को जी करता है ;-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव रीना जी.
Vah kya khoob,marmsparshi rachana
जवाब देंहटाएंक्यों मांगे का मिलता नही ...
जवाब देंहटाएंवरना तो मिलता बहुत है !
तेरी यादों को याद करने से भी
यह मन क्यों खिलता बहुत है ......
शुभकामनाएँ!
खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
जवाब देंहटाएंउसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...sahi bat yahi piyaar ki charam seema hai...
sundar paktiyaan.
जवाब देंहटाएंतस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
जवाब देंहटाएंअपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...
....बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...
कोमल भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
हाय रे इन्सान की मजबूरियां .............
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .
ऐसा लिखती हैं आप भाव हिलोरे लेने लगते है।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा गज़ल!
जवाब देंहटाएंसुंदर कोमल भाव, वाह !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्यार भरे अहसास... रीना जी
जवाब देंहटाएंकविता बहुत ही पसंद आई
मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
http://rajkumarchuhan.blogspot.इन
तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
जवाब देंहटाएंअपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...
....बहुत खूब
रीना को उसकी मोहब्बत मिले ऐसे दुआ करती है ये टीना !!
मेरी नयी पोस्ट
माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!
एक कसक के साथ...बहुत ही बेहतरीन रचना |
जवाब देंहटाएंजितना गहरा प्यार हो उतनी दूरियां खलती है ...बहुत बढ़िया अहसास ..
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें |ब्लॉग पर उत्साहवर्धन हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंप्रकाश पर्व के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर....
जवाब देंहटाएं:-)