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रविवार, 4 नवंबर 2012

Usaki Duri Ka Ye Ahsa Khalata Bahut Hai उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है


 उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...

तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...

दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...

उसकी इबादत - ए- मोहब्बत इस कदर भा गयी है मुझे
की उसको पाने की खातिर दील मचलता बहुत है...

खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
उसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...

उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
उससे मिलने की तमन्ना दिल करता बहुत है...



36 टिप्‍पणियां:

  1. सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।

    दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।

    यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।

    गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।

    बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।

    कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेम मों क्या शब्द कहना, मौन ही अभिव्यक्त है यह।

    जवाब देंहटाएं
  3. दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
    दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है...

    अद्भुत एहसास के साथ अथाह प्रेम की अनुभूति और अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  4. हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए
    हम तो दिल तक चाहते थे तुम तो जां तक आ गए...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वाह सर ,,इस दो पंक्ति में भावों का सागर है..
      प्यार ही प्यार..
      :-)

      हटाएं



  5. उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
    Reena Maurya
    मेरा मन पंछी सा


    सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।
    दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
    यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
    गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
    बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
    कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।

    भावनाओं का उच्छ्वास उड़ेल दिया है रचना टिपण्णी में आपने .बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  6. ये खलिश जीने का सबब बन कर रहेगी....

    सुन्दर एहसास..
    अच्छी रचना रीना...
    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर प्यार भरे अहसास... शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. मजा आता अगर गुजरी हुई बातों का अफ़साना,
    कही से तुम वयां करते,कही से हम वयां करते,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहद खूबसूरत रचना वाह क्या बात है दिल में उतर गई आपकी ये रचना.
    दिवार - ए - जात हमारे मोहब्बत के दरमियाँ खड़ी है
    दरख्तों के साए में खुद को छुपाऊँ जी करता बहुत है

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  10. मर्मस्पर्शी खूबसूरत रचना .......

    जवाब देंहटाएं
  11. तुम्हें छोड़ के.... मर जाने को जी करता है ;-)
    बहुत सुन्दर भाव रीना जी.

    जवाब देंहटाएं
  12. क्यों मांगे का मिलता नही ...
    वरना तो मिलता बहुत है !
    तेरी यादों को याद करने से भी
    यह मन क्यों खिलता बहुत है ......
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  13. खोकर उसको जीना ये मुमकिन नहीं रीना
    उसको खोने के डर से ही ये दील सहमता बहुत है...sahi bat yahi piyaar ki charam seema hai...

    जवाब देंहटाएं
  14. तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
    अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...

    ....बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  15. कोमल भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति....
    सुन्दर रचना....

    जवाब देंहटाएं
  16. हाय रे इन्सान की मजबूरियां .............
    सुंदर रचना .

    जवाब देंहटाएं
  17. ऐसा लिखती हैं आप भाव हिलोरे लेने लगते है।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत ही सुन्दर प्यार भरे अहसास... रीना जी
    कविता बहुत ही पसंद आई
    मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
    http://rajkumarchuhan.blogspot.इन

    जवाब देंहटाएं
  19. तस्वीरों में देखती हूँ उसे इसके - उसके साथ
    अपनी तस्वीर में उसे सजाऊँ ऐसी हसरत भी बहुत है...

    ....बहुत खूब

    रीना को उसकी मोहब्बत मिले ऐसे दुआ करती है ये टीना !!

    मेरी नयी पोस्ट
    माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!


    जवाब देंहटाएं
  20. एक कसक के साथ...बहुत ही बेहतरीन रचना |

    जवाब देंहटाएं
  21. जितना गहरा प्यार हो उतनी दूरियां खलती है ...बहुत बढ़िया अहसास ..

    जवाब देंहटाएं
  22. दीपावली की शुभकामनायें |ब्लॉग पर उत्साहवर्धन हेतु आभार |

    जवाब देंहटाएं
  23. प्रकाश पर्व के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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