कल्पनाओं में रंग भर दिए
इक्छाओं में जान फूँक दी
सपनों को परवाज देकर
लक्ष्य को आवाज देकर
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार.....
हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......
माता -पिता का आशीर्वाद लेकर
कुछ अपनों को साथ लेकर
मंजिल को यादकर कर
हे ईश्वर तेरा नाम लेकर
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार......
हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......
कदम-कदम बढ़ाते जाना
अन्य कदमों को भी साथ मिलाना
कुछ खो कर तो बहुत कुछ पाकर
अनुभव से सीखते - सिखाकर
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार .....
हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ....
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आशा और ओज़ का भाव लिए ... सुन्दर रचना ... आगे बढ़ने ही जीवन को पाना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना..आगे बढ़ना ही जीवन है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंजीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना... जीवन चलने का नाम है और हमारा आत्मविश्वास ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in
बस दहलीज तक ही सब बंधन है दहलीज के पार उन्मुक्त आकाश , अपार संभावनाएं .. सुन्दर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव..... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंसद इच्छाएं पूरी हों , दहलीज के आर या पार !
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन .... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहमारा आशीर्वाद और दुआ भी साथ हो
जवाब देंहटाएंउज्जवल भविष्य और निष्कंटक राह हो
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंजीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना
जवाब देंहटाएंआप को और पूरे परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
@ संजय भास्कर