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बुधवार, 29 जनवरी 2014

dahlij ke par दहलीज के पार...



कल्पनाओं में रंग भर दिए 
इक्छाओं में जान फूँक दी
सपनों को परवाज देकर 
लक्ष्य को आवाज देकर
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार.....
                         हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......

माता -पिता का आशीर्वाद लेकर
कुछ अपनों को साथ लेकर 
मंजिल को यादकर कर 
हे ईश्वर तेरा नाम लेकर 
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार......
                   हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ......

कदम-कदम बढ़ाते जाना
अन्य कदमों को भी साथ मिलाना
कुछ खो कर तो बहुत कुछ पाकर 
अनुभव से सीखते - सिखाकर 
मैं निकल पड़ी दहलीज के पार .....
                    हाँ मैं निकल पड़ी दहलीज के पार ....









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12 टिप्‍पणियां:

  1. आशा और ओज़ का भाव लिए ... सुन्दर रचना ... आगे बढ़ने ही जीवन को पाना है ...

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना..आगे बढ़ना ही जीवन है...

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना... जीवन चलने का नाम है और हमारा आत्मविश्वास ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.
    http://himkarshyam.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  4. बस दहलीज तक ही सब बंधन है दहलीज के पार उन्मुक्त आकाश , अपार संभावनाएं .. सुन्दर सार्थक रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. सद इच्छाएं पूरी हों , दहलीज के आर या पार !

    जवाब देंहटाएं
  6. अनुपम भाव संयोजन .... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. हमारा आशीर्वाद और दुआ भी साथ हो
    उज्जवल भविष्य और निष्कंटक राह हो

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  8. जीवन के प्रति सुन्दर सन्देश देती रचना
    आप को और पूरे परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!

    @ संजय भास्कर

    जवाब देंहटाएं

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