एक ही ऑफिस में काम करते थे | करीब ६ महीने कि जान पहचान . ५ महीनों कि दोस्ती और बातचीत,और घंटो आँखों का आँखों से मिलना,जिसमे रोज घंटो कि लड़ाई..दोनों ही बातूनी झगड़ालू और शर्तो के उस्ताद ,,बात बात पर शर्त लगाना...
बातचीत भी कुछ ऐसी,, ज्यादा बातें ना बनाओ अगर मैंने बोलना शुरू किया तो तुम्हारी आँखे और कान खुले के खुले रह जायेंगे..
अच्छा तो तुम्हें क्या लगता है तुम बोलोगी तो मैं चुप रहूँगा ..
हाँ हाँ । तुम तो जरुर बोलोगे ,,बोले बिना तुम्हें चैन कहाँ..
अमन ---- प्रिया तुम ही हमेशा लड़ती रहती हो.गुस्सा तो जैसे तुम्हारी नाक पर बैठा रहता है कभी प्यार से शांति से भी दो शब्द बोल दिया करो ..
प्रिया--- प्यार के शब्द वो भी तुमसे .....
हम्म ...
अमन और प्रिया लगभग एक ही स्वभाव के थे..पर दोनों में ऐसे ही मस्ती- मस्ती में झगड़े होते रहते है ..प्रिया अक्सर अमन को गुस्से में झगड़ालू और" कमीने हो" कहती...
अमन भी उसे चिढ़ाने के लिए कह देता -- तुम भी कम नहीं हो तुम भी तो झगड़ा करती हो,, तो बन जाओ न इस कमीने कि कमिनी,, जोड़ी अच्छी रहेगी ..
दोनों अधिकतर साथ में ही रहते ,भले ही एक-दूसरे से लड़ते -झगड़ते पर एक -दूसरे को अच्छे से समझते भी थे.. जुबान पर गालियाँ पर मन में एक-दूसरे के लिए ढ़ेर सारा प्यार और सम्मान था..
पर किस्मत का खेल .. कानपूर से अमन के माँ कि चिट्ठी आई कि अमन के पिता कि तबियत ठीक नहीं है.अमन को तुरंत जाना था , वहाँ जाकर पता चला कि अमन के पिता अब कुछ ही दिनों के मेहमान है . अमन वहीँ रहकर अपने पिता कि सेवा करने लगा.अमन और प्रिया अक्सर फोन पर बात करते थे. इन दूरियों ने उनके बीच के प्रेम को और गहरा कर दिया. अमन और प्रिया ने एक-दूसरे से अपने प्रेम का इजहार कर दिया और शादी करने का फैसला लिया.इसी बीच अमन के पिता कि तबियत और बिगड़ती जा रही थी अमन के पिता ने उसे बुलाकर अपनी अंतिम, इक्छा बताई.उनकी अंतिम इक्छा थी कि उनके रहते ही अमन अपना गृहस्थ जीवन बसाकर उनके कारोबार को आगे बढ़ाए.पिता को ऐसी स्थिति में देख कर अमन उन्हें मना ना कर पाया. कुछ दिनों के बाद अमन के पिता ने अपनी संपत्ति अमन के नाम कर दी और अपने दोस्त के बेटी से उसकी शादी करवा दी...
प्रिया को जब पता चला तो वो काफी उदास हो गई.कुछ महीनों के बाद प्रिया कि भी शादी हो गई.पर दोनों एक-दूसरे को भूल नहीं पाये थे .दोनों ने मिलने का फैसला लिया.दोनों शिव जी के मंदिर में मिले ,मिलते ही एक-दूसरे को गले लगाकर बहुत रोए.ह्रदय कि सारी वेदना जैसे अश्रु बन कर आँखों से झर - झर बहे जा रही थी.
दोनों के संस्कार और अपने माता - पिता के प्रति उनका प्यार उन्हें अपनी अलग दुनिया बसाने कि इजाजत भी तो नहीं देते..
ऐसे में अमन ने एक उपाय निकाला,,वो प्रिया से कहने लगा -- प्रिया एक दुनिया तुम्हारी है तुम्हारे पति के साथ दूसरी दुनिया मेरी है मेरी पत्नी के साथ तो क्यूँ ना हम अपनी तीसरी दुनिया बसाए. जिसमे हम दोनों साथ हो..
वो कैसे अमन--- यहीं इसी जगह पर हम हमारे प्यार का एक पौधा लगाएंगे जो बढ़ेगा और इसी के साथ हमारा प्यार भी बढ़ेगा. मैं हमेशा यहाँ आने कि कोशिश करूँगा .
प्रिया -- "नहीं अमन "--- हमारी तीसरी दुनिया बने इससे पहले मैं तुमसे एक वादा चाहती हूँ
बोलो प्रिया---- आजतक जो रिश्ते तुमसे जुड़े है और आनेवाले समय में और भी रिश्ते जुड़ते जायेंगे उन्हें तुम्हें पूरी ईमानदारी के साथ निभाना है ,,जरुर प्रिया --पर यही वादा मैं तुमसे भी चाहता हूँ....." वादा रहा"....
तो चलो शुरुवात करतें है तीसरी दुनिया की--- तीसरी दुनियाँ की नींव पड़ गई.जब भी समय मिलता दोनों अक्सर यहाँ आते औए अपने प्रेम की ऊँचाई और सच्चाई को देखते..
दोनों ने खूब मेहनत की और आसपास की जगह को भी पार्टनर बनकर खरीद लिया . अपनी - अपनी दुनियाँ में पूरी ईमानदारी से जीते हुए अपनी तीसरी दुनिया को साकार किया और वहाँ एक स्कूल - कॉलेज बनाया...
अमन और प्रिया अब भी मिलते हैं, लड़ते हैं, झगड़ते हैं | पर अब सब खुश हैं..
पहनी दुनियाँ , दूसरी दुनियाँ और तीसरी दुनियाँ के लोग भी…
बस ऐसे ही मन में ख्याल आया और ये कहानी बन गई...
तीसरी दूनियाँ
एक प्रेम कहानी...
कैसी है जरुर बताइये..
एक अच्छी कल्पना सी उपजी रचना है पर शायद समाज अभी पूरी तरह इसके लिए तैयार न हो ... कई बार अच्छे अफ़साने किसी एक मोड़ पे छोड़ना अच्छा होता है ...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने सर जी..
हटाएंबस कल्पना मात्र है... एक कोशिश..
धन्यवाद..
:-)
good one :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ..... लिखती रहें
जवाब देंहटाएंतीसरी दुनियां की खूबसूरत कल्पना तो बहुत अच्छी है.
जवाब देंहटाएंसपनों की सोच अच्छी है ...वर्तनी की गलतियाँ सुधार ले ....पढ़ने पर नज़र जाती है रीना ||
जवाब देंहटाएंजरुर मैम ठीक कर दिया है...
हटाएंधन्यवाद...
:-)
धन्यवाद सर जी
जवाब देंहटाएं:-)
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंतीसरी दुनिया खूबशूरत कल्पना ,बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
sapne to sahi dekhe gaye lekin pure karne ke liye kahani ke patro ko bahut hi sangharsh karne honge.......mujhe lagta hai ki kahani ko badhayi ja sakti hai...............
जवाब देंहटाएंकहानी के विषयवस्तु में नवीनता है !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कल्पना ..तीसरी दुनियां की
जवाब देंहटाएंek nayee soch ke sath sundar prastuti ..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी |
जवाब देंहटाएंएक नई सोच के साथ बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकहानी बहुत अच्छी है ..
जवाब देंहटाएंachhi kalpana hai, ek achcha raasta
जवाब देंहटाएंshubhamnayen
अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसोच अच्छी..डगर मुश्किल ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
प्लाटोनिक लव :)
जवाब देंहटाएंये संभव है क्या :)
प्यार करने वाले कभी डरते नहीं...
जवाब देंहटाएंजो डरते है वो प्यार करते नहीं....
कल्पना कि उड़ान.जहाँ इंसान प्रेम में हत्यारा बन सकता है तो शायद अच्छी कल्पना के साथ ये भी हो सकता है...
:-)
agar healthi relation hai to ho sakta hai ...is duniya ko friendship ka bhi nam de sakte hain par famili friend ....mushkil hai par asambhav nahi ....sundar kalpna ...
जवाब देंहटाएंसच्चे प्रेम की सच्चाई है यह तीसरी दुनिया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी :-)
खूबसूरत कल्पना .....बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! तीसरी दुनिया को देखने का एक अलग नजरिया... बेहद खूबसूरत है प्रेम की यह दुनिया...
जवाब देंहटाएंतीसरी दुनिया प्रेम की दुनिया...पवित्र दुनिया... दोस्ती की दुनिया... बहुत खूब. अच्छी कहानी, बधाई.
जवाब देंहटाएंachha pryas hai .....
जवाब देंहटाएंbahut sundar
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