तेरे साथ बिता वो पल, जब भी याद आता है
ये मेरा मन पगला , सब कुछ भूल जाता है
हवाओं का फिजाओं का ये तुझसे कैसा नाता है
जब भी लेती हूँ मैं सांसे, मन महक जाता है
करू जतन कितना भी मैं,ना जाने क्या हो जाता है
मैं जब भी लिखती हूँ कुछ,पहले तेरा ही नाम आता है
तेरे अहसास का वो पहला स्पर्श, जब भी याद आता है
हो जातीं हैं साँसे सुरमई, मन गुदगुदाता है
मैं जब भी सोचती हूँ तुझको, मन मुस्कुराता है
पर तुझे ही सोचना, मेरे दिल को लुभाता है
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार सर जी
हटाएंतेरे साथ बिता वो पल, जब भी याद आता है
जवाब देंहटाएंये मेरा मन पगला , सब कुछ भूल जाता है
मन के भाव अपने पूरी हसरतों के साथ प्रकट हुए हैं। यह भाव हर किसी में होना चाहिए जो हर पल हंसी ख़ुशी से जीना चाहे ... जी ले।
आभार संजय जी
हटाएंwah reena sundar ehsas...sach mey aisa hi hota hai
जवाब देंहटाएंआभार रेवा दी :-)
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-08-2015) को "आशाएँ विश्वास जगाती" {चर्चा अंक-2055} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार सर जी
हटाएंप्यार से प्यार बढ़ता है प्यार दिखता है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
आभार कविता जी
हटाएंwaah bht hi badhiya likha
जवाब देंहटाएंआभार सदा जी
हटाएंतेरे अहसास का वो पहला स्पर्श, जब भी याद आता है
जवाब देंहटाएंहो जातीं हैं साँसे सुरमई, मन गुदगुदाता है ...
प्रेम के अंकुर जब फूटते हैं मन मयूर नाच उठता है ... बहुत ही सादगी से लिखी प्रेम पाती ...
आभार सर जी
हटाएंसुन्दर एहसास से सजी रचना ।
जवाब देंहटाएंआभार प्रदीप जी
हटाएंप्यार के अहसास को बखूबी दर्शाया
जवाब देंहटाएंSunder Rachna
जवाब देंहटाएंबहुत ही सादगी से लिखी प्रेम पाती ..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा शब्द संयोजन.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा एवं सुन्दर शब्द संयोजन.
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