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रविवार, 31 मार्च 2019

jogan जोगन



जोगन का है रूप धरा 
जोगन तेरी कहलाऊँगी
और नहीं कुछ चाह है प्रियतम
भजन तेरे ही गाऊँगी
मन के मंदिर में मै अपने 
मूरत तेरी सजाऊँगी
मै तेरी दीवानी साँवरे
तुझे नैनन में बसाऊँगी
तुम मेरे भगवन हो कान्हा 
मै हूँ तेरी जोगनियाँ
दर्शन दे दो हे प्रभुवर 
मै तृप्त मन हो जाऊँगी
दर्शन को तेरे नैना तरसे 
तरस- तरस के नैना बरसे
मन भी अब विचलित है डर से
और अधिक ना करो विलंब
मै मीरा दीवानी तेरी
जोड़ी तुझसे प्रीत की डोरी 
अब और नहीं कुछ चाह है मेरी 
मिल जाये जो तेरा दर्शन 
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