जोगन का है रूप धरा
जोगन तेरी कहलाऊँगी
और नहीं कुछ चाह है प्रियतम
भजन तेरे ही गाऊँगी
मन के मंदिर में मै अपने
मूरत तेरी सजाऊँगी
मै तेरी दीवानी साँवरे
तुझे नैनन में बसाऊँगी
तुम मेरे भगवन हो कान्हा
मै हूँ तेरी जोगनियाँ
दर्शन दे दो हे प्रभुवर
मै तृप्त मन हो जाऊँगी
दर्शन को तेरे नैना तरसे
तरस- तरस के नैना बरसे
मन भी अब विचलित है डर से
और अधिक ना करो विलंब
मै मीरा दीवानी तेरी
जोड़ी तुझसे प्रीत की डोरी
अब और नहीं कुछ चाह है मेरी
मिल जाये जो तेरा दर्शन
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