जोगन का है रूप धरा
जोगन तेरी कहलाऊँगी
और नहीं कुछ चाह है प्रियतम
भजन तेरे ही गाऊँगी
मन के मंदिर में मै अपने
मूरत तेरी सजाऊँगी
मै तेरी दीवानी साँवरे
तुझे नैनन में बसाऊँगी
तुम मेरे भगवन हो कान्हा
मै हूँ तेरी जोगनियाँ
दर्शन दे दो हे प्रभुवर
मै तृप्त मन हो जाऊँगी
दर्शन को तेरे नैना तरसे
तरस- तरस के नैना बरसे
मन भी अब विचलित है डर से
और अधिक ना करो विलंब
मै मीरा दीवानी तेरी
जोड़ी तुझसे प्रीत की डोरी
अब और नहीं कुछ चाह है मेरी
मिल जाये जो तेरा दर्शन
8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8-8
सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील जी
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-04-2019) को "चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है" (चर्चा अंक-3293) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
अन्तर्राष्ट्रीय मूख दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-04-2019) को "चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है" (चर्चा अंक-3293) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
अन्तर्राष्ट्रीय मूख दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री जी
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 02 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी
हटाएंबहुत भावपूर्ण रचना। बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कैलाश जी
हटाएंवाह। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विश्वमोहन जी
हटाएंकृष्ण के प्रति समर्पित मीरा का प्रेम अपने आप में एक उदाहरण है इस नश्वर जगत के लिए ... और इसी प्रेम की भावना को रेखान्तिक करती सुन्दर और लाजवाब रचना है रीना जी ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ...
धन्यवाद दिगंबर जी
हटाएंबोग पर पुनः वापसी का स्वागत है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद :-)
हटाएंबहुत सुन्दर भजन....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुधा जी
हटाएंअपने वजूद के ऊपर एक लाजवाब और सराहनीय रचना..|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी
हटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आनंद जी
हटाएंउम्दा रचना बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुखमंगल जी
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