हाइकू
नौ महीने से
सींचा कोख मे माँ ने
राजकुमारी
हाथ थामती
हर संकट , दुःख
हर लेती माँ
त्याग कि देवी
ममता कि छाँव माँ
प्रेम लुटाती
बरगद सा
उंगलियाँ थामे वो
पिता है खड़ा
कठोर बन
देता हिम्मत पिता
मार्ग दिखाता
माता कि डांट
पिता कि फटकार
जीना सफल
कंधा पापा का
बैठकर घूमती
देखती जग
उंगली थामे
चलना सिखा मैंने
माता - पिता से
बहुत ही सुन्दर और सार्थक हाइकू।
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.03.2014) को "साधना का उत्तंग शिखर (चर्चा अंक-१५४४)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेंद्र जी..
हटाएंबहुत सुंदर हाइकू
जवाब देंहटाएंAshok Saluja has left a new comment on your post "mata- pita माता- पिता":
जवाब देंहटाएंएक बेटी का माँ-बाप के प्रति स्नेह दर्शाते खुबसूरत हाइकु.....
शुभकामनायें!
वाह ! बहुत ही सुंदर सृजन...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - पुरानी होली.
बहुत सुन्दर और सार्थक हाइकु...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मैम !
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर और सार्थक हायकू...
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधऱती और आकाश ,
जवाब देंहटाएंसिर उठाए खड़ी हूं जो ,
बस एक विश्वास .
बहुत सुन्दर हायकू.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : पंचतंत्र बनाम ईसप की कथाएँ
वाह ! बहुत ही सुंदर सृजन...!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंक्तियां.......रीना जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंसुंदर हाईकू....
जवाब देंहटाएंमाता-पिता पर केंद्रित बहुत सुंदर हाइकु.. माता-पिता ही जीवन का मार्ग दिखलाते हैं…
जवाब देंहटाएंबेटी द्वारा माँ पिता को सामर्पित ... सुन्दर भावमय हाइकू ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत एंव प्रभावी
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