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जम के बरसी बूंदें .... सुंदर रचना
सुन्दर कविता रीना....चित्र के साथ अच्छा लगा....थोडा सा अक्षर बड़े होते तो और मज़ा आता :-)सस्नेह
सोचा कुछ नया करूँ और काफी कट पेस्ट की पर वर्ड बड़ा नहीं हो रहा है..पर दुबारा फिर से कोशिश करतीरहूंगी..और अच्छा करने की..:-)thank u
बहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....
वाह ... बहुत खूब।
मौसम को भिंगोती पंक्तियाँ......मेघा रे... जैसा मन.....पर... मेरी भी वही शिकायत है...जो expression ji की है.....अच्छा लगा...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
सावन में बरखा की बूंदों से सराबोर लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,,,अति सुंदर रचना के लिए बधाई,,,,रीना जी RECENT POST...: दोहे,,,,
मेघा प्रस्तुति अच्छी है .अब धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,आकाश चुप था ,अब घुमड़ने लगा है ,मेघा कैसे गरजने लगा है ...
आप की खुशीयों की फुहार की सब तरफ़ ज़रूरत थी .....आभार !
आप की खुशियो की फुहार ने तो हमें भीगा ही डाला..सुन्दर प्रस्तुति..रीना..
आपकी रिमझिम सी कविता ने हमे भिगो ही दिया बहुत सुन्दर चित्र और कविता
सुंदर रचना | हृदय को भिगोने वाली |
... भावविभोर करने वाली रचना...
बहुत अच्छी प्रस्तुति!इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!सूचनार्थ!
आपका बहुत - बहुत आभार....:-)
waah Reena etna khubsurat likha ki hamari taraf bhi thandi bahaar bhej hi di ..dhanyawad aapka....
झमाझम रचना के लिए आभार !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।धन्यवाद।
सुंदर रचना ...!!
भींगकर भिंगोना कोई आपसे सीखें ,सावन के झूले को खिंच के देखे ....
काले मेघों ने किया, रीना जी को मस्त |झूमें, भीगे चीख लें, पर होती न पस्त ||,
बरखा की बूंदों से बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर रचना.सावन का महिना आ गया आखिर इंडिया में.बहुत करीब से आपने बारिश में भीगने का नक्षा खिंचा.वैरी नाईस.मोहब्बत नामा मास्टर्स टेक टिप्स
सुन्दर चित्र और खूबसूरत कविता. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
bahut sundar sawani fuhar liye sundar prastuti..
bahut khoob
वाह बहुत खूब
बहुत सुंदर पंक्तियाँ....
सावन का आपने इस सुंदर कविता द्वारा शानदार स्वागत किया है।
बहुत बहुत मनभावन प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर रचना...बहुत सुंदर प्रस्तुति ... :-). आज का आगरा
बहुत मनभावन रचना...
रीना जी ...सुन्दर ..मोहक रचना ..सारे ख्वाब पूरे हो जाएँ ..डाली को पकड़ झूले में झूलूँ ....बरखा के शीतल जल पी लूं .....भ्रमर ५ भ्रमर का दर्द और दर्पण
ग्रीष्म की तपिश के बाद,बारिश की शीतल बूंदें पा किसका तन-मन न नाच उठेगा!
वाह जी वाह !
जम के बरसी बूंदें .... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता रीना....
जवाब देंहटाएंचित्र के साथ अच्छा लगा....
थोडा सा अक्षर बड़े होते तो और मज़ा आता :-)
सस्नेह
सोचा कुछ नया करूँ
जवाब देंहटाएंऔर काफी कट पेस्ट की
पर वर्ड बड़ा नहीं हो रहा है..
पर दुबारा फिर से कोशिश करती
रहूंगी..और अच्छा करने की..
:-)
thank u
बहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंमौसम को भिंगोती पंक्तियाँ......
जवाब देंहटाएंमेघा रे... जैसा मन.....
पर... मेरी भी वही शिकायत है...
जो expression ji की है.....
अच्छा लगा...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसावन में बरखा की बूंदों से सराबोर लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,,,
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना के लिए बधाई,,,,रीना जी
RECENT POST...: दोहे,,,,
मेघा प्रस्तुति अच्छी है .अब धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,आकाश चुप था ,अब घुमड़ने लगा है ,मेघा कैसे गरजने लगा है ...
जवाब देंहटाएंमेघा प्रस्तुति अच्छी है .अब धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,आकाश चुप था ,अब घुमड़ने लगा है ,मेघा कैसे गरजने लगा है ...
जवाब देंहटाएंआप की खुशीयों की फुहार की सब तरफ़ ज़रूरत थी .....
जवाब देंहटाएंआभार !
आप की खुशियो की फुहार ने तो हमें भीगा ही डाला..सुन्दर प्रस्तुति..रीना..
जवाब देंहटाएंआपकी रिमझिम सी कविता ने हमे भिगो ही दिया बहुत सुन्दर चित्र और कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना | हृदय को भिगोने वाली |
जवाब देंहटाएं... भावविभोर करने वाली रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपका बहुत - बहुत आभार....
हटाएं:-)
waah Reena etna khubsurat likha ki hamari taraf bhi thandi bahaar bhej hi di ..
जवाब देंहटाएंdhanyawad aapka....
झमाझम रचना के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
जवाब देंहटाएंभींगकर भिंगोना कोई आपसे सीखें ,सावन के झूले को खिंच के देखे ....
जवाब देंहटाएंकाले मेघों ने किया, रीना जी को मस्त |
जवाब देंहटाएंझूमें, भीगे चीख लें, पर होती न पस्त ||,
बरखा की बूंदों से बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.सावन का महिना आ गया आखिर इंडिया में.बहुत करीब से आपने बारिश में भीगने का नक्षा खिंचा.वैरी नाईस.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
सुन्दर चित्र और खूबसूरत कविता. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत - बहुत आभार....
जवाब देंहटाएं:-)
bahut sundar sawani fuhar liye sundar prastuti..
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ....
जवाब देंहटाएंसावन का आपने इस सुंदर कविता द्वारा शानदार स्वागत किया है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत मनभावन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...बहुत सुंदर प्रस्तुति ... :-).
जवाब देंहटाएंआज का आगरा
बहुत मनभावन रचना...
जवाब देंहटाएंरीना जी ...सुन्दर ..मोहक रचना ..सारे ख्वाब पूरे हो जाएँ ..डाली को पकड़ झूले में झूलूँ ....बरखा के शीतल जल पी लूं .....
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
ग्रीष्म की तपिश के बाद,बारिश की शीतल बूंदें पा किसका तन-मन न नाच उठेगा!
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह !
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