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शनिवार, 7 जुलाई 2012

Baras Re Megha बरस रे मेघा


खुशियों की फुहार..

38 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर कविता रीना....
    चित्र के साथ अच्छा लगा....
    थोडा सा अक्षर बड़े होते तो और मज़ा आता :-)
    सस्नेह

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  2. सोचा कुछ नया करूँ
    और काफी कट पेस्ट की
    पर वर्ड बड़ा नहीं हो रहा है..
    पर दुबारा फिर से कोशिश करती
    रहूंगी..और अच्छा करने की..
    :-)
    thank u

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  3. बहुत ही खुबसूरत सावन में भीगी पंक्तिया....

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  4. मौसम को भिंगोती पंक्तियाँ......

    मेघा रे... जैसा मन.....

    पर... मेरी भी वही शिकायत है...

    जो expression ji की है.....

    अच्छा लगा...

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

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  6. सावन में बरखा की बूंदों से सराबोर लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,,,
    अति सुंदर रचना के लिए बधाई,,,,रीना जी

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  7. मेघा प्रस्तुति अच्छी है .अब धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,आकाश चुप था ,अब घुमड़ने लगा है ,मेघा कैसे गरजने लगा है ...

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  8. मेघा प्रस्तुति अच्छी है .अब धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है ,आकाश चुप था ,अब घुमड़ने लगा है ,मेघा कैसे गरजने लगा है ...

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  9. आप की खुशीयों की फुहार की सब तरफ़ ज़रूरत थी .....
    आभार !

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  10. आप की खुशियो की फुहार ने तो हमें भीगा ही डाला..सुन्दर प्रस्तुति..रीना..

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  11. आपकी रिमझिम सी कविता ने हमे भिगो ही दिया बहुत सुन्दर चित्र और कविता

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  12. सुंदर रचना | हृदय को भिगोने वाली |

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  13. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  14. waah Reena etna khubsurat likha ki hamari taraf bhi thandi bahaar bhej hi di ..
    dhanyawad aapka....

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  15. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।धन्यवाद।

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  16. भींगकर भिंगोना कोई आपसे सीखें ,सावन के झूले को खिंच के देखे ....

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  17. काले मेघों ने किया, रीना जी को मस्त |
    झूमें, भीगे चीख लें, पर होती न पस्त ||,

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  18. बरखा की बूंदों से बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

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  19. बहुत सुन्दर रचना.सावन का महिना आ गया आखिर इंडिया में.बहुत करीब से आपने बारिश में भीगने का नक्षा खिंचा.वैरी नाईस.


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  20. सुन्दर चित्र और खूबसूरत कविता. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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  21. सावन का आपने इस सुंदर कविता द्वारा शानदार स्वागत किया है।

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  22. बहुत बहुत मनभावन प्रस्तुति..

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  23. बहुत सुन्दर रचना...बहुत सुंदर प्रस्तुति ... :-).
    आज का आगरा

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  24. रीना जी ...सुन्दर ..मोहक रचना ..सारे ख्वाब पूरे हो जाएँ ..डाली को पकड़ झूले में झूलूँ ....बरखा के शीतल जल पी लूं .....
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  25. ग्रीष्म की तपिश के बाद,बारिश की शीतल बूंदें पा किसका तन-मन न नाच उठेगा!

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