गुरु ज्ञान का सागर है,
गुरु गुणों का है भंडार,
गुरु बिना अज्ञानता की नैय्या को
कौन लगाये पार,
गुरु ना जाने अमीर - गरीब,
गुरु ना जाने जात - पात,
ना कोई वेश और भाषा,
गुरु तो जलाये हर वक़्त
ज्ञान के दीप,
बढ़ाये मन में उमंग और आशा ...
sachmuch guru gyan ka sagar hai
जवाब देंहटाएंbahut hi accha
ईमानदारी से कहता हूँ , आपकी कविता में वर्णित गुरु की मुझे आज भी तलाश है |
जवाब देंहटाएंआजकल तो गुरु सिर्फ उसे ही कहते हैं जो अपनी शिक्षा को बेचता है , जबकि मेरा गुरु तो शायद फर्श पर फैला हुआ वो पानी है , जिसने मुझे संभल कर चलना सिखाया |
आकाश