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बुधवार, 7 सितंबर 2011

Pahali Mulakat पहली मुलाक़ात



पहली मुलाक़ात की वो घडी बड़ी अजीब थी 

संध्या की बेला थी, कुछ महफिले भी तंग थी
छोटे से घर में दो अंजानो की पहली मुलाक़ात थी
चांदनी को आगोश में लिए रात भी रोशन थी
सहमे थे दोनों , चेहरे पर सहमी हुई हल्की मुस्कान थी
कुछ सवाल थे , कुछ जवाब थे
पहचाने से सवाल थे , अनजाने से जवाब थे
 कुछ बाते भूल गए , 
कुछ बाते दिल को भा गए
जो बाते भूल गयी वो बीत गयी
जो बाते भा गयी वो अगली मुलाक़ात के बहाने दे गयी...
इंतज़ार नयी मुलाक़ात का ,,,,,,,,,,,,,,,




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