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सोमवार, 19 सितंबर 2011

Yaden यादे


किताबे हाथ मे लेकर याद तुम्हे करती हु 
मासूम से दिल को जलाती रहती हु 
दिल मे तुम्हारी याद कुझ इस तरह जम सी गयी है
जैसे आत्मा और शरीर का एक रिश्ता है 
जैसे बिजली का बादल से एक नाता हैं
जैसे आंखो का आंसू कैसे देखो एक दुजे मे समाया है 
कैसे तुम्हारी याद को दिल से जुदा करू 
या शरीर को ही आत्मा से रुसवा करू 
तुम्ही बता दो यादो से पिझा झुडाने का राज 
या हमे बुला लो अपने पास
पास ना बुला सको तो 
दे दो ऐसी दुआ 
कि इस दुनिया से हो जाऊ मै रुशवा
तनहा अकेले ये यादो के मेले 
कैसे कोई इतनी तकलीफो को झेले 
दोस्ती ओर साथी के दायरे अब टुटने लगे है 
ये जिंदगी अब गम के फसाने मे डूबने लगे है 
जी ना सकेंगे हम आसुओ को बहाकर 
यादो के महल मे तुम्हारी यादे सजाकर
ये यादे ये यादे ....... 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    जवाब देंहटाएं
  2. दोस्ती ओर साथी के दायरे अब टुटने लगे है
    ये जिंदगी अब गम के फसाने मे डूबने लगे है

    वाह! रीना जी आपकी लेखनी का जवाब नहीं।

    सादर

    जवाब देंहटाएं

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