किताबे हाथ मे लेकर याद तुम्हे करती हु
मासूम से दिल को जलाती रहती हु
दिल मे तुम्हारी याद कुझ इस तरह जम सी गयी है
जैसे आत्मा और शरीर का एक रिश्ता है
जैसे बिजली का बादल से एक नाता हैं
जैसे आंखो का आंसू कैसे देखो एक दुजे मे समाया है
कैसे तुम्हारी याद को दिल से जुदा करू
या शरीर को ही आत्मा से रुसवा करू
तुम्ही बता दो यादो से पिझा झुडाने का राज
या हमे बुला लो अपने पास
पास ना बुला सको तो
दे दो ऐसी दुआ
कि इस दुनिया से हो जाऊ मै रुशवा
तनहा अकेले ये यादो के मेले
कैसे कोई इतनी तकलीफो को झेले
दोस्ती ओर साथी के दायरे अब टुटने लगे है
ये जिंदगी अब गम के फसाने मे डूबने लगे है
जी ना सकेंगे हम आसुओ को बहाकर
यादो के महल मे तुम्हारी यादे सजाकर
ये यादे ये यादे .......
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar abhivaykti....
जवाब देंहटाएंदोस्ती ओर साथी के दायरे अब टुटने लगे है
जवाब देंहटाएंये जिंदगी अब गम के फसाने मे डूबने लगे है
वाह! रीना जी आपकी लेखनी का जवाब नहीं।
सादर
bahut hi sundar
जवाब देंहटाएंadbhut sabdo ka sangam hai
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