सूरज की पहली किरण के साथ जब उसका चेहरा दिख जाये...
मन के गलियारे में रोशनी छा जाये .
भीगी केशुवो को जब वो लहराए ,
उसकी हर बूंद ,,,ओस की बूंद की तरह धरा को भिगाए.
होंठो से बोले तो यू लगे की ,, कोई गुलाब की पंखुड़ी बिखर जाये
सुनी डगर को मेरी फूलो से सजाये
पलकें झुकाए कभी पलकें उठाये
कभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये
उसके मुस्कुराने से जग रोशन हो जाये
मुस्कुराती है जब वो तो मेरा रोम रोम खिल जाये
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
फिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
waah..man kii baat...shabdo ka sath bahut khub
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
bahut badhiyaa
बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंप्यार में इकरार कर लेना ही बेहतर होता है. चाहे उसका अंजाम जो हो.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ख्याल.
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
behad achchhi shabd rachna....
बहुत सुंदर प्रस्तुति.,,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियाँ .......
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता रीना जी |ब्लॉग पर आपके आगमन के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावों का संगम ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्दों का उम्दा संयोजन... वाह..
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत रचना .....रीना जी
सुन्दर अभिव्यक्ति! सुन्दर अहसास !
जवाब देंहटाएंnice .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंख्यालों में एक खूबसूरत अहसास सजाती सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंकह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
सुन्दर रचना....
सादर बधाई...
बेहतरीन रचना और उतने ही खूबसूरत ख्यालात।
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंसंस्कार कविता संग्रह में आपका स्वागत है..
अपना साथ एवं आशीर्वाद बनाए रखिये ..
कह देना ही भला ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंरीना जी आपकी पोस्ट मुझे बहुत पसंद आई.....रूमानी जज्बातों को समेटे हैं अल्फाज़.......पर मुझे लगा की इसमें काफी सुन्धर की गुंजाईश है.....मैंने कुछ कोशिश की है.......कृपया आप अन्यथा न ले और बताये की आपको मेरी कोशिश कैसी लगी?
जवाब देंहटाएंसूरज की पहली किरन में जब चेहरा उसका दिखे
तो जैसे मन के गलियारे में रोशनी छा जाये,
भीगी हुई जुल्फों को वो जब लहराए ,
हर बूंद जैसे जमीन को भिगो जाये,
बोले तो यूँ लगे जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखर जाये
मेरे जीवन की सूनी डगर को वो फूलो से सजाये,
जब वो पलकें झुकाए और पलकें उठाये
कभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये
उसके मुस्कुराने से ही जग रोशन हो जाये
मेरा तो जैसे रोम रोम खिल जाये
कह दूँगा अब उससे हाले दिल अपना जो अब तक ना कह पाया
फिर चाहे वो रूठे या मान जाये, चाहे हँसे या मुस्कुराये
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ...अच्छा लगा ब्लॉग का कलेवर, साज सज्जा और अहसासों को समाये आपकी कवितायेँ....फिर आता रहूँ इसलिए आपके ब्लॉग का अभी से अनुसरण कर रहा हूँ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता...
दीपक शुक्ल
उसके मुस्कुराने से जग रोशन हो जाये
जवाब देंहटाएंमुस्कुराती है जब वो तो मेरा रोम रोम खिल जाये
bahut khubsurat rachana
रीना जी,..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ख्यालों से सजी बहुत प्यारी रचना,...सुंदर पोस्ट..
मेरी नई पोस्ट "प्रतिस्पर्धा"में इंतजार है...
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ...
बहुत ही कोमल अहसास युक्त सुन्दर अभिव्यक्ति ..सादर !!!
आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंसंस्कार कविता संग्रह में आपका स्वागत है..
पलकें झुकाए कभी पलकें उठाये
जवाब देंहटाएंकभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये
बेमिसाल है सब .....!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! चर्चा में शामिल होकर चर्चा मंच को समृध्द बनाएं....
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति, आकर्षित करने में कामयाब ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें स्वीकार करें !
रीना जी ,प्रेम से भरी इस कविता के लिये शब्द कम पढ़ रहे है .. आपने बहुत सुद्नर अभिव्यक्ति की है ..
जवाब देंहटाएंबधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html
यशवंत जी नयी पुरानी हलचल पर मेरी पोस्ट को भी शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंअतुल सर चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ......
कह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
जवाब देंहटाएंफिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
...बहत सुंदर अभिव्यक्ति...
bahut hi gahre aur komal bhavon ke sath likhi gayee bahut hi sunder panktiyan........... sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रीना जी बिलकुल कह देना चाहिए ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंचाहे वह हँसे या सोचता रह जाए
खामोश रहे या
आईने में देख देख
कुछ बुद बुदाये
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर रीना जी. ...
जवाब देंहटाएंएक अच्छी प्यार भरी कविता.
बहुत ही उम्दा पंक्तियाँ लिखने के लिए आपको कोटि कोटि सुभकामनाये
जवाब देंहटाएंकह दुंगा अब उससे जो अब तक ना कह पाया
फिर चाहे मना करे या मान जाये...
चाहे हसे या मुस्कुराये ....
रीना जी आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक अभिनन्दन........
please Join me...
http://rohitasghorela.blogspot.com
आपका पोस्ट अच्छा लगा .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट ' आरसी प्रसाद सिंह ' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंvery nice :)
जवाब देंहटाएंएक कोमल अहसास को अभिव्यक्त करती रचना।
जवाब देंहटाएंhey, you you must be a writer. Your text is so great.
जवाब देंहटाएंFrom Great talent
वाह! क्या बात है! बहुत अच्छी कविता!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति के लिये प्रथम बधाई स्वीकृत करें।
जवाब देंहटाएंपलकें झुकाए कभी पलकें उठाये
जवाब देंहटाएंकभी अँधेरा तो कभी सारा जग रोशनी से भर जाये
वाह तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है ... बरबस ये गीत याद आ गया ...
Badhiya kavita.
जवाब देंहटाएंbehtreen rachna
जवाब देंहटाएंबेहद कोमल अहसास ....प्रेम पगी अति सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंशुभ कामनायें
एक कोमल अहसास को अभिव्यक्त करती रचना। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत बधाई और शुभकामनाएं रीना जी
जवाब देंहटाएंबेहद कोमल अहसास ........
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder jajwat hai jab aap kisi ke pyar be dube rahata hai to uski har bat achhi lagti hai aur ye bhav hame uski pooja tak karne ke liye majboor kar dete hai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी
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