भ्रम से लेकर मैं तक का सफ़र...एक तपस्या है जो करते हैं वो लोग
जो किसी का अनचाहा रिश्ता बन जाते है....और इस अनचाहे रिश्ते में प्यार घोलने की एक कोशिश है क्यूंकि रिश्ते बनते है जुड़ने के लिए ना की टूट कर बिखर जाने के लिए..
भ्रम
भ्रम है एक - दूजे के हैं हम
भ्रम है ये रिश्ता पक्का है
तो ठीक तो हैं ना
जी रहे हो तुम भी
जी रही हूँ मैं भी
और क्या सब ठीक तो है
आस
भ्रम में जी तो रही हूँ
पर आस का दीया जलाकर
और निभा रही हूँ अपना
कर्तव्य पूरी निष्ठां से
विश्वास
इस विश्वास के साथ
की मेरा समर्पण और निश्छल प्रेम
एक दिन बदल देगा तुम्हें
विश्वास है की तुम बदलोगे जरुर
जरुर बदलोगे ....
मैं
जिस दिन मेरे विश्वास पर
तुम्हारे प्यार की मुहर लग जाएगी
उस दिन मेरा ये अकेला "मैं"
"हम" में बदल जायेगा
और मेरे भ्रम की तपस्या
सार्थक होगी.....
कभी - कभी भ्रम में जीना भी सुखद और सार्थक होता है...
बस उनमें मिठास घोलने की कोशिश तो होनी ही चाहिए
हैं ना ??
कभी - कभी भ्रम में जीना भी सुखद और सार्थक होता है...
जवाब देंहटाएंबस उनमें मिठास घोलने की कोशिश तो होनी ही चाहिए
बहुत सुन्दर .......
कड़वी सच्चाई से तो कोई मधुर भ्रम ही भला....जीने की वजह कुछ तो हो....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना रीना...और नया टेम्पलेट भी..
सस्नेह
अनु
रचना अच्छी है बस एक तरफ़ा खाम खयाली न हो भ्रम तो निभ जाएगा खाम खयाली रंग न लाएगी .समर्पण तो कुंजी है जीवन को जीने की हासिल की .
जवाब देंहटाएंbauhat sunder rachna.....aakhri ki do pankti behad umda hain...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक और प्रेरक कविता रीना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
अपने बहुत ही अच्छी तरह से और सयुक्त सब्दो को सजोया है मन पर्फुलित होगया यहाँ आके
जवाब देंहटाएंह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंजीवन का भी यही क्रम है | सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंअच्छा है।
जवाब देंहटाएंभ्रम -> आश -> विश्वास -> प्यार :)
जवाब देंहटाएंकभी - कभी भ्रम में जीना भी सुखद और सार्थक होता है...
बस उनमें मिठास घोलने की कोशिश तो होनी ही चाहिए
भावों के मोती को बड़ी खूबसूरती और प्यार से एक माले में पिड़ोया है ....
सुंदर !!
hmesha ki tarah achi prstuti he.aaj mobile se aapki blog pr hu.mobile pr ye blog bahut sundar lag rhi he.or mobile format blog he.
जवाब देंहटाएंजब तक भ्रम ना टूटे तब तक जीवन सुखद और सार्थक लगता है..भ्रम को बनाए रखने के लिए आस ,विश्वास तो होनी ही चाहिए..भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..रीना..
जवाब देंहटाएंमैं
जवाब देंहटाएंजिस दिन मेरे विश्वास पर
तुम्हारे प्यार की मुहर लग जाएगी
उस दिन मेरा ये अकेला "मैं"
"हम" में बदल जायेगा
और मेरे भ्रम की तपस्या
सार्थक होगी.....
कभी - कभी भ्रम में जीना भी सुखद और सार्थक होता है...
बस उनमें मिठास घोलने की कोशिश तो होनी ही चाहिए
हैं ना ?
भ्रम आस और विश्वास में हम जी लेते हैं बरसों बरस और कट जाती है जिंदगी ......
सुन्दर कविता ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत गहन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल सही कहा,,,, उसमे भ्रम में मिठास घोलने की कोशिस तो करनी ही चाहिए ...चाहे कठिन सही... और प्रयास सफल हो तो खुशी मिलेगी..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचना,,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
बहुत सुन्दर लगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशवंत जी...
जवाब देंहटाएं:-)
मन के भावों की सटीक व्याख्या करती सार्थक रचना.....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग gazalganga.in को 99 के फेरे से उबारने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
भ्रम आस और विश्वास जीवन की संजीवनी है. बहुत सुंदर कविता और बहुत सुंदर विचार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर. मैंने भी अपनी एक कविता में कहा है कि जीने के लिए भ्रम ज़रुरी है
जवाब देंहटाएंBHRAM MAI BHI JEEVAN KABHI KABHI SUNDER LAGTA HAI..
जवाब देंहटाएंBahut Sundar....
जवाब देंहटाएंगजब ..
जवाब देंहटाएंक्रमश: बढता प्रेम ..
यही तो स्थायी होता है !!
कविता में 'मैं' अंत में आया लेकिन मुझे लगा कि 'मैं' से ही आस है, विश्वास है, भ्रम है।
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन है ... वो भी तो माया है ... माया ही भ्रम है ...
जवाब देंहटाएंprem se bhari sunder rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen