पुरवाई मेरे मन की
चलती चले - चलती चले
गाँव , शहर , गली- गली
डगर - डगर
पत्तों से लड़ी ,कभी फूलों से मिली
समुंदर में गई लहरों को उछाला
किसी के आँचल को उड़ाए
तो कभी बालों में घुस जाए
किसी की खुशबू को
किसी तक पहुँचाती है
प्रेम फैलाती है , मन बहकाती है
शीतलता लाती है
पुरवाई मेरे मन की
देखो क्या - क्या करती है
मेरा बहता मन
मन काबू में कहाँ
कभी हवा की तरह चले
कभी पंछी की तरह उड़े
जबरदस्ती बैठा दो जमीन पर
तो मन पानी की तरह बहे
मेरा बहता मन
कभी ना रुके ...
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शनिवार, 14 जुलाई 2012
Mera Man *** मेरा मन ***
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बढिया रचना है इस से पहली रचना वर्षा पर बहुत सशक्त है 'हीना 'शब्द खटकता है कृपया 'हिना' कर लें.चित्र और संगत रचना दोनों बढिया बन पड़ी हैं .बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है यह मन कभी पुरवाई बनकर खुशबू बिखेरता है कभी पंछी की तरह उड़ता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाएँ रीना....
जवाब देंहटाएंप्यारे से एहसास हैं इनमे...
अनु
समुंदर में गई लहरों को उझाला....यहाँ उछाला कर लो.
मन की पुरवाई ...और बहता मन ... मन भावन सावनी रचनायें..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें..
शीतलता लाती सदा, पवन चले पुरवाई,
जवाब देंहटाएंमन का आँचल उड़ता,खुशबू है बिखराई,,,,,,
सुंदर भाव,,,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
वो मन ही क्या जो.......................
जवाब देंहटाएंमनमोहक प्रस्तुति......
बहुत उम्दा बधाई
जवाब देंहटाएंबढिया रचना है
जवाब देंहटाएंशानदार प्रसतुति बहुत बढिया !आपके ब्लाग को ज्वाईन कर लिया है युनिक को आप भी करे तो खुशी होगी
जवाब देंहटाएंयुनिक तकनीकी ब्लाग
पुरवाई मेरे मन की
जवाब देंहटाएंदेखो क्या - क्या करती है
मेरा बहता मन
कभी ना रुके ...
superb lines
Man ko chhu gayi apki rachnayein ... sundar bhav :)
जवाब देंहटाएंजीवन का यही तो सच है. मन की सोंच कहाँ रूकती है वह तो बहती ही रहती है .सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमन काबू में कहाँ
जवाब देंहटाएंकभी हवा की तरह चले
कभी पंछी की तरह उड़े
जबरदस्ती बैठा दो जमीन पर
तो मन पानी की तरह बहे
मेरा बहता मन
कभी ना रुके ...
...यूँ ही निरंतरता में मन बहता रहे
निरंतरता का अपना महत्त्व है |सुन्दर और भावपूर्ण |
जवाब देंहटाएंआशा
किसी के आँचल को उड़ाए
जवाब देंहटाएंतो कभी बालों में घुस जाए
किसी की खुशबू को
किसी तक पहुँचाती है
बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत किये आपने ,इस रचना के जरिये.आप कभी कभी लिखती हैं लेकिन कमाल लिखती हैं.बेमिसाल .लाजवाब.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
मुक्त मन को पकड़ना ठीक नहीं ... उसकी उड़ान रोकना ठीक नहीं ... उसे मुक्त गगन में खोने दो ... सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंरीना तुम्हारी कविता तो सुंदर होती ही है साथ ही प्रस्तुतीकरण भी अद्भुत होता है. सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद
हटाएं:-)
मन कभी पुरबाई है तो कभी पंछी तो कभी पानी
जवाब देंहटाएंजो कभी स्थिर नहीं रहता ....
सुंदर रचना ...
बधाई !!
अच्छी.... भावपूर्ण रचनाएँ हैं रीना जी....बधाई!
जवाब देंहटाएंसमसामयिक रचना बहुत उम्दा लिखी है आपने।
जवाब देंहटाएंमन को छो गई आपके मन कि पुरवाई..... बहुत खूब रीना जी!
जवाब देंहटाएंबह गया तो फिर हाथ नहीं आयेगा
जवाब देंहटाएंमन जा के समुंदर में मिल जायेगा ।
सुंदर भाव !!
प्यारी सी मनमोहक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंजबरदस्ती बैठा दो जमीन पर
जवाब देंहटाएंतो मन पानी की तरह बहे
मेरा बहता मन
कभी ना रुके ...
क्या बात है ... भावमय करते शब्दों का संगम
Jitni sundar rachna, utna sundar prastutikaran.
जवाब देंहटाएं............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...
मनमोहक रचना ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रीना जी, बढ़िया प्रस्तुति है ये. मन अगर काबू में आ जाये तो जिंदगी से उमंग ही ख़तम हो जाएगी..फिर जीने के मायने ही बदल जायेंगे. उड़ने दिए इसे अपनी उड़ान पर.
जवाब देंहटाएं--अवनीश मौर्य--
शीतलता लाती है
जवाब देंहटाएंपुरवाई मेरे मन की
देखो क्या - क्या करती है
प्रोत्साहन देती पंक्तियाँ ...... बहुत बढिया रचना
बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंनिखरता जा रहा है लेखन आपका....
शुभकामनाएं......
धन्यवाद सर जी,,
हटाएं:-)
दोनों ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!!
पढ़ते-पढ़ते
purvai man ki sunder laybadhdh rachna
जवाब देंहटाएंdono rachnayein achhi hain
shubhkamnyen