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यही स्वरुप औरत को 'सम्पूर्ण' बनाते हैं ... ऐसे कि पुरुष नत मस्तक हो जाए ... गर्व होता है उस पर ... हर सुख नारी से है ... पीड़ा की हर चुभन से नारी ही उबारती है ... खुश रहें ...
औरत ke kitne roop hai
जवाब देंहटाएंbahut hi accha
यही स्वरुप औरत को 'सम्पूर्ण' बनाते हैं ... ऐसे कि पुरुष नत मस्तक हो जाए ... गर्व होता है उस पर ... हर सुख नारी से है ... पीड़ा की हर चुभन से नारी ही उबारती है ... खुश रहें ...
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