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सोमवार, 26 सितंबर 2011

kuch Kaho कुछ कहो


कुछ कहो तब ना जानुंगी 
अपनी गलती कैसे मानुंगी 
खता हमारी ही है,
या बस ऐसे ही ,
इन दुरियो कि हकीकत को मै कैसे पह्चानुंगी |
कुछ कहो तब ना जानुंगी ........

9 टिप्‍पणियां:





  1. रीनाजी
    बहुत ख़ूबसूरत ख़यालात हैं …
    दूरियों की हक़ीक़त मन से पहचानी जाती है … :)


    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और
    शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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