मुझे पाना चाहती थी वो
पर मेरी हा का इंतजार करती थी
पर अधिक इंतजार भी कर ना पाई वो
मुझसे बेपनाह प्यार जो करती थी
चाहत कि हद पार कर
शर्मो - हया को छोडकर
मेरी बाहो में समा गई
बहते अश्रू से मेरे ह्रदय को भीगा गई
सांसो में सिसकीया
आंखो में अश्क
कापते होंठ उसके
मन में कश्मकश
रुवासा चेहरा
आंखो में सवाल
क्यू करवा रहा था ,,, उससे मै इंतजार ?
चाहती थी वो मुझसे इसका जवाब ......
क्या देता जवाब मैं..
मैं तो खुद हि जिंदगी का सवाल था ...
क्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था ...
just a poem
read it feel it .....
क्या देता जवाब मैं..
जवाब देंहटाएंमैं तो खुद हि जिंदगी का सवाल था ...
क्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था ...
गजब का लिख दिया है।
सादर
भाव पूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंसांसो में सिसकीया
जवाब देंहटाएंआंखो में अश्क
कापते होंठ उसके
मन में कश्मकश
रुवासा चेहरा
आंखो में सवाल ... bahut badhiyaa
बहुत सुंदर , आभार.
जवाब देंहटाएंक्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था ...
जवाब देंहटाएंगजब जज्बात।
सुंदर रचना।
शुभकामनाएं.....
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना...लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है.सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंरीना जी बहुत सुंदर रचना बधाई...
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट-वजूद- में स्वागत है
aha.....dard bhari khubsurat rachna
जवाब देंहटाएंaankhe nam kar gayi ....aabhar
मैं तो खुद हि जिंदगी का सवाल था ...
जवाब देंहटाएंक्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था ...
बहुत ही अच्छा और गजब का लिखतीं हैं आप.
भावविभोर हो गया मन आपको पढकर.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,रीना जी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर दर्शन दीजियेगा.
हार्दिक स्वागत है आपका.
बहुत ही भावपूर्ण लिख डाला ...!
जवाब देंहटाएंबधाई हो !मेरे ब्लॉग पे आपका
हार्दिक स्वागत है...!
बेहतरीन रचना ! हर शब्द एक सुन्दर तस्वीर को उभारता सा लगता है
जवाब देंहटाएंकल हो न हो से आपने बहुत खूबसूरत नज़्म को जन्म दिया है |
जवाब देंहटाएंअंत में आ कर सोच को झटका देती है कविता
जवाब देंहटाएंबधाई
कल हो न हो के ऊपर बखूबी लिखी हुई कविता |
जवाब देंहटाएंआकाश
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
अंतस को छूते बहुत गहरे अहसास...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंufff ....gehre bhav...bahut sundar likha hai
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